हम कभी कभी सोचते है कि इतना आतंक दुनिया में क्यों है अगर ध्यान से देखा जाए तो आतंक की जड़ आपको पता चल जाएगी पिछले 1200 -1300 वर्षों से पैदा हुआ आतंक अभी तक नष्ट होने का नाम नही ले रहा है जब इसका पता लगाने की कोशिश करेगे तो मालूम पड़ेगा कि यह सब इस्लाम या कुरान में बताई जन्नत को पाने के लिए हो रही जद्दोजहद है।
इस्लाम
का उदृदेश्य आतंक और सेक्स है यह मेरा कहना नही है किन्तु जब इस्लाम से
सम्बन्धित ग्रंथो का आध्ययन किया जाये तो प्रत्यक्ष रूप ये यह बात सामने
आ ही जाती है। कि घूम फिर कर अल्लाह को खुश करने के लिये जगह पर आंतक
फैलाने और उनके अनुयायियों खुश करने के लिये सेक्स की बात खुल कर कही जाती
है।
इस्लाम
के पवित्र योद्धाओ (आतंकियो) को यौन-सुखों और भोगविलास के असामान्य
विशेषाधिकार दिए गए हैं। यदि वे लड़ाई के मैदान में जीवित रह जाते हैं तो
उनके लिए गैर-मुसलमानों की स्त्रियाँ रखैलों के रूप में सुनिश्चित हो जाती
हैं। लेकिन यदि वे युद्ध के मैदान में मारे जाते हैं तो वे हूरियों से भरे
'जन्नत' के अत्यन्त विलासिता पूर्ण वातावरण में निश्चित रूप से प्रवेश के
अधिकारी हो जाते हैं। अल्लाह को खुश करने के लिये कई जगह मुर्तिपूजको तथा
गैर-मुसलमानों की संहार योजना में भाग लेने के बदले में यौन-सुखों के
प्रलोभनों का वायदा किया जाता है जैसे कि
आगे पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करेंयदि वह (आतंक फैलाने वाला ) युद्ध भूमि की कठिन परिस्थितियों मारा गया तो उसे 'जन्नत' में उसकी प्रतीक्षा कर रहीं अनेक हूरों के साथ असीमित भोगविलासों एवं यौन-सुखों का आनंद मिलेगा, और यदि वह जीवित बचा रहा तो उसको 'गैर-ईमान वालों' के लूट के माल, जिसमें कि उनकी स्त्रियाँ भी शामिल होंगी, में हिस्सा मिलेगा।
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