Monday, November 26, 2012

आज से ठीक चार वर्ष पूर्व का 26-11-2008 का वह दुखःद दिन

 आज 26-11 है वह दुखःद दिन जबकि हमारे ही  देश के एक टुकड़े नालायक पाकिस्तान के वहसी आतंकियों ने मेरे भारत के बहुत से बेगुनाह बहिनों भाईयों को मार डाला था।
 26/11 हमारे देश के नागरिकों पर हुये अमानवीय हमलों में से सबसे क्रूरतम हमला जिसमें हम तो हम हमारे साथ बैचारे कई विदेशियों ने भी इसे झेला।इस हमले को आज सोमवार को चार वर्ष पूरे हो गए। इसको याद कर आज फिर लोगों की आंखें नम हो गई। 
वैसे तो यह एक ऐसी क्रूरतम घटना है जिसे याद न किया जाए तो ही ठीक है किन्तु इतिहास तभी बनता है जब कि आप किसी घटना को याद रखें तथा इससे सीख लेते हुय़े अपना आगामी जीवन
सुखी बनाऐं सो याद अवश्य ही आऐगी और इस अमानवीय कुकर्म में मारे गये भाईयों व बहिनों को मैं ज्ञानेश कुमार वार्ष्णेय अपनी अश्रु पूरित श्रद्धाञ्जलि समर्पित करता हूँ।

यह मुंबई की सबसे काली रात थी ः-
  उस दिन बुधवार था जब 26 नवंबर 2008 की रात भाड़े के दस आतंकियों ने इस खूनी खेल को अंजाम दिया। मुंबई की सड़कों पर उस वक्त मानों मौत मंडरा रही थी।और हिन्दु धर्म में जिन्हैं राक्षस कहा गया है वै लोग आतंकी के रुप में अपने राक्षसी कृत्यों को अंजाम दे रहै थे। आतंकी जहां से निकल रहे थे वहीं से लोगों की चीख पुकार सुनाई दे रही थी। मुंबई की कई सड़कें खून से लथपथ दिखाई दे रही थीं।

आतंकियों ने घात लगाकर मशहूर होटलों के समीप और कई अन्य प्रमुख जगहों पर कुछ समय के अंतराल में हुए दर्जन भर श्रृंखलाबद्ध विस्फोट और गोलीबारी की।
आतंकियों ने उस दिन की अधाधुंध फायरिंग थी ः-
यह घटना इतने तावड़तोड़ तरीके से हुयी कि हमारे नेता लोग व  सम्पूर्ण देश की  जनता आवाक रह गयी किन्तु अलग-अलग जगह हुई इस गोलीबारी को आतंकी हमला समझने में मुंबई पुलिस को देर नहीं लगी। इस हमले में अकेले मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनल स्टेशन पर हुई अधाधुंध गोलीबारी में ही दस से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। छत्रपति शिवाजी टर्मिनल स्टेशन के अतिरिक्त ताज होटल, होटल ओबेरॉय, लियोपोल्ड कैफे, कामा अस्पताल तथा दक्षिण मुंबई के अन्य अनेक महत्व पूर्ण स्थानों पर आतंकियों ने इस हमले को अंजाम दिया।

आतंकियों ने ताज में लोगों को बंधक भी बनाया था ः-
ताज होटल मे दो राक्षस आतंकबादियों  ने 15 लोगो को बंधक बना लिया, जिनमे 7 विदेशी शामिल थे। होटल ओबेरॉय में 40 लोगों को आतंकियों ने बंधक बना लिया। आतंकियों ने ताज होटल के हेरीटेज विंग में आग लगा दी। ताज होटल में घुसे आतंकियों को खत्म कर करने के लिए पहले सेना फिर मरीन कमांडो को बुलाया गया। अगले दिन तक मुठभेड़ चलती रही। बाद में केंद्र सरकार ने इस हमले का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए एनएसजी कमांडो की एक टुकड़ी मुंबई के लिए रवाना की। इस ऑपरेशन को ऑपरेशन टोरनेडो नाम दिया गया।
सेना ने बिना हथियार आतंकियों से लिया लोहा ः-
केंद्र की ओर से दो सौ एनएसजी कमाडो और सेना के 50 कमाडो ने नारीमन हाउस और ताज होटल में आतंकियों से सीधी टक्कर ली। इसके अलावा सेना की पांच और टुकड़ियों को वहां भेजा गया साथ ही नौसेना को भी हाई अलर्ट पर रखा गया। मुंबई हमले के दौरान ओंबले गिरगाव चौपाटी में तैनात थे। सेना से रिटायर होने के बाद उन्होंने मुंबई पुलिस ज्वाइन की थी। आतंकी हमले के दौरान उनके पास केवल एक लाठी ही थी, लेकिन वह इससे घबराए नहीं और आतंकियों को रोककर उनका सामना किया। उन्होंने आतंकियों की सारी गोलिया अपने सीने पर लीं और एक आतंकी को अंत तक नहीं छोड़ा। यह आतंकी था अजमल कसाब जिसको 21-11 को फासी दी गई। 26 जनवरी 2009 को उन्हें अशोक चक्रसे सम्मानित किया गया।
ऑपरेशन टोरनेडो की शुरुआत ः-
26 नवंबर की रात होटल ताज में छुपे हुए आतंकवादियों से मुठभेड़ प्रारंभ हुई। 27 नवंबर की सुबह होटल ओबेरॉय तथा 28 नवंबर की सुबह राष्ट्रीय सुरक्षाबल के कमाडो नरीमन हाउस में आतंकवादियों का सामना करने पहुंच चुके थे। सबसे पहले होटल ओबेरॉय का आपरेशन 28 नवंबर की दोपहर को खत्म हुआ। शाम तक नरीमन हाउस के आतंकवादी भी मारे जा चुके थे। लेकिन होटल ताज में चल रहा आपरेशन 29 नवंबर की सुबह तक चला।
आखिरी दिन कमाडो कार्यवाही में तेजी आई और कई धमाकों की आवाजें सुनी गईं। भीषण गोलीबारी भी हुई। इमारत के चारो ओर विशेष तौर पर ग्राउंड फ्लोर के आसपास काला धुंआ फैल गया और चारों और कमाडो नजर आने लगे। कमांडो कार्यवाही में एक आतंकी के शव को खिड़की से बाहर गिरते हुए पूरी दुनिया ने देखा। 58 घटे बाद शनिवार सुबह ऑपरेशन टोरनेडो खत्म हो गया। इसमें एनएसजी कमांडो दस्ते के मेजर उन्नीकृष्णन की मौत हो गई।
वीर सपूतों ने गंवाई जान
इसके अलावा इस अभियान में आतंकविरोधी दस्ते के प्रमुख हेमंत करकरे, मुठभेड़ विशेषज्ञ उप निरीक्षक विजय सालस्कर, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त अशोक कामटे, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त सदानंद दाते, निरीक्षक सुशात शिदे, सहायक उप निरीक्षक-नानासाहब भोंसले, सहायक उप निरीक्षक-तुकाराम ओंबले, उप निरीक्षक- प्रकाश मोरे, उप निरीक्षक-दुदगुड़े, कास्टेबल-विजय खाडेकर, जयवंत पाटिल, योगेश पाटिल, अंबादोस पवार तथा एम.सी. चौधरी भी शहीद हो गए।
  आज कसाब को फाँसी लग चुकी है शायद इससे न्याय मिलने में जिन लोगों के परिवार बाले इस घटना के भुक्त भोगी रहैं है कुछ न कुछ शान्ति मिली होगी मैं उन लोगों को जिन लोगों का इस दुखःद घटना को होते देखा है या जिन लोगों के परिवारी जन या मिलने बाले इसमें पीड़ित रहैं है उन सबको कोई कुछ दे तो नही सकता है कैवल उनकी शोक संवेदना में हम शामिल होकर दर्द महुसस ही कर सकते हैं।तथा अपने सैनिकों को भी सच्ची श्रद्धा़ञ्जलि जिन्हौने खुद को मिटा कर देश पर आयी इस गंभीर विपत्ती को दूर कर दिया।और राक्षसों में से कुछ को जिन्दा पकड़ लिया।
लैकिन मैं इस देश की सत्ता व आगामी जो भी सत्ता धीश बनें उनसे केवल यही कह सकता हूँ कि भाई कम से कम देश के दुश्मनों की सही से पहिचान करें क्योकि लालची हमेशा मारा जाता है
हमें देश के सैनिकों पर जितना गर्व है उतना ही हमारा सत्ता केन्द्र भारत को कमजोर कर रहा है।जो देश के दुश्मनों को रोटी ही नही विरयानी भी खिला रहा है अकेले कसाव पर हमारा पैसा पानी की तरह नही कवाड़े की तरह बहाया गया।जो इतना दुखःद हैं।

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