Wednesday, January 30, 2013

दो शब्द -दामिनी को मिले छद्म न्याय के प्रति

अंधों का यह न्याय आज अपराधी छूटा
बलत्कार सा पाप किया इज्जत को लूटा
शैतानी करतब दिखला दामनी मारी
आज न्याय ने देखो कैसी करदी ख्वारी
अब आगे कोई नारी बाहर न निकले
घर में वैठी रहै न्याय की बात न बोले
अन्यायी के दोनों हाथ भरे लड्ड़ू से
एक हाथ में अय्यासी  दूजे में जन्नत
लूट मजे में यार खूव भारत की इज्जत
जब तक तू अठ्ठारह वरस का हो पाएगा
तेरा नाम खुदा वन्दों में लिख जाएगा
दोनों हाथों लूटो तुम भारत को भैया
आज डूवने बाली है भारत की नैया
इधर मजे में रहों खूव अय्यासी करलों
उधर पहुँचकर खुदा के घर फिर मौजें लो
खूब करों मनमानी हो नावालिग जब तक
खूव निकालों नारी का फालूदा तब तक
ए न्यायकारी अब तुम भी कुछ आँखे खोलो
अन्यायी सा न्याय किया क्यों तुमने बोलो
बिका लग रहा न्याय आज हमको मंडी में
गुण्डे ऐश किये  दिखते  हमको मंडी में
भारत की नारी का जो तुमने न्याय किया है
अन्याय के शिवा नही कोई काम किया है
इस न्याय को न्याय नही कोई कह सकता
नारी पर अन्याय भारती ना सह सकता
तुमने एसा न्याय किया जो एसी पीड़ा है
शैतानों के यहाँ आज होती क्रीड़ा है
हर शैतान बजाता होगा खुलकर ताली
होगी अब नारी की खुलकर बदहाली
लपकेगा शैतान खूव नावालिग बनकर
टपकेगा अब खून नालियों में बहबहकर
बहिन वेटियाँ कैसे सड़के पार करेगी
अब भारत माँ कैसे देखो धीर धरेगी
आज मानना होगा न्याय की देवी अंधी 
देख न्याय को आज हिम्मत न वंधी
आत्मा दामिनी की आज फिर रोती होगी 
शैतानी फिर फिर नारी पर  हँसती होगी
क्या विगाड़ पायी तू वलिदान देकर भी नारी
आज न्याय ने कर दी फिर से तेरी ख्वारी


  

कसाब को बचाना चाहती थी सोनिया की कमेटी!

राष्ट्रधर्म संकलन साभार प्रभात खबर 

नयी दिल्ली : हमारे देश में कुछ लोग कसाब के हितैषी भी हैं या यूं कहें कि उन्हें कसाब पर दया आ गयी थी. तभी तो कसाब की माफी की पैरवी के लिए 203 लोगों ने राष्ट्रपति से पैरवी की थी. यहां चौंकाने वाली बात यह है कि इन लोगों में नेशनल एडवाइजरी कमेटी के दो मेंबर भी शामिल हैं. इस कमेटी की अध्यक्ष सोनिया गांधी हैं.
इस बात का खुलासा जनता पार्टी अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी ने किया है. आरटीआई के जरिए मिली जानकारी के हवाले से उन्होंने बताया कि कसाब की फांसी माफ करने के लिए 203 लोगों ने राष्ट्रपति के पास अर्जी भेजी थी, जिनमें 2 अर्जियां कमेटी मेंबर्स की भी थी.
आरटीआई से साफ हुआ है कि एडवाइजरी कमेटी की मौजूदा मेंबर अरुणा रॉय और पूर्व मेंबर हर्ष मंदर उन पत्रकारों और सोशल ऐक्टिविस्टों में शामिल हैं, जिन्होंने कसाब की फांसी की सजा माफ करने की मांग की थी. सोशल ऐक्टिविस्ट निखिल डे भी कसाब की फांसी की सजा माफ करने की अपील करने वालों में से एक थे, मगर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इन सभी अर्जियों को खारिज कर दिया था, जिसके बाद बीते साल 21 नवंबर को कसाब को फांसी दे दी गई थी.
शुक्रवार को जनता पार्टी प्रेजिडेंट सुब्रमण्यम स्वामी ने बताया कि उनकी पार्टी के एक मेंबर ने इस बारे में आरटीआई के तहत जानकारी मांगी थी. उन्होंने मीडिया को आरटीआई के तहत मिले लेटर की कॉपी देते हुए कहा, 'जिन लोगों ने एक आतंकी की सजा माफ करने की मांग की, वही लोग कमेटी में बैठकर देश का भविष्य तय कर रहे हैं.'
इस बारे में जब हर्ष मंदर से बात की, तो उन्होंने कहा मैंने सजा माफी की बात नहीं की थी, सिर्फ फांसी की सजा माफ करने की अर्जी दी थी.' वहीं अरुणा रॉय ने तो इस बारे में बात नहीं की, मगर सोशल ऐक्टिविस्ट निखिल डे बताया, 'मैं और अरुणा रॉय किसी को भी मौत की सजा के पक्ष में नहीं है. हमारा मानना है कि किसी को भी फांसी की सजा के बजाए लंबे समय तक जेल में रखना चाहिए.'

सच जिन्है कोई नकार नही सकता है जो भारत के लिए दुःखद तथ्य हैं


प्रिन्स कुमावत भारतीय 11:45am Jan 30
कुछ अनकहे और अनसुने तथ्य ..



1. हमारे देश पर मुसलमानों का हक भी है : काहे का हक? १९०० से १९४७ तक जमकर हिन्दू का खून बहाया था एक अलग इस्लामिक देश बनाने के लिए. और उन ४० ५० सालो में मुस्लिम यह कहते रहे थे की हिन्दू और
मुस्लिम का धर्म बिलकुल विपरीत है , हम लोग हिन्दू के साथ नहीं रह सकते! ..

९९.९९% मुस्लिम लोगो ने अलग इस्लामिक देश की मांग राखी थी और उनकी मांग के मुताबित १५ से २०% आबादी वाले मुस्लिम वर्ग को ३०% भारत का हिस्सा दे दिया गया (पाकिस्तान आर बांग्लादेश के रूप में) ..

2. पाकिस्तान और बांग्लादेश में पिछले ६० सालो में आबादी ४ गुना हुई है वहीँ दूसरी और भारत में मुस्लिम आबादी ८ गुना हो चुकी है .. आज़ादी के समय पाकिस्तान और बांग्लादेश की कुल जन संख्या ८ करोड़ से ९ करोड़ के बीच थी .. अज वो बढकर ३२ करोड़ है .. वहीँ भारत में मात्र ३ करोड़ मुस्लमान थे जिनकी आबादी अब २५ करोड़ के पार जा चुकी है ..

सरकार देश की जनता को मुर्ख बनाती है की मुसलमानों की जनसँख्या १८ करोड़ से २० करोड़ है .. उस १८ २० करोड़ में कश्मीरी मुस्लिम नहीं गिने जाते, उसमें असम के मुस्लमान नहीं गिने जाते , उसमें बंगलादेशी घुसपैठिये नहीं गिने जाते .

3. मुस्लमान की आबादी (हिन्दू+सिख+जैन ­+बौध+पारसी ) के मुकाबले ५०% ज्यादा तेजी से बड रही है |

4. अगर अभी भी हिन्दू सोया रहा तोह २०३५ में मुस्लमान हमारे देश में बहुसंख्यक होगा .. और भूतकाल गवाह है की जहाँ जहाँ पर मुस्लमान बहुसंख्यक हुआ है वो देश में दुसरे धर्मो के लोगो का जीना नरक में जीने से भी बुरा हुआ है ..(पाकिस्तान , बांग्लादेश ) .. आजादी के बाद : कश्मीर , असाम, हैदराबाद |

5. हमारे देश में सैक्युलर लोग यह कहते है की मुसलमानों के साथ ना इंसाफी होती है | हमारे देश में 60% मुस्लमान शिक्षित लोगो में गिने जाते है | और वहीँ दूसरी और हिन्दू 68% .. मुसलमानों की शिक्षा दर इसिलए भी कम है क्यूंकि इनके परिवार में इतने बच्चे होते है की सही से परवरिश तक नहीं कर पाते.

केरल में मुसलमानों की शिक्षा दर ८५% के करीब है और उनकी हरकतें देश जोड़ने की नहीं तोड़ने की होती हि या .. समय समय पर फतवे जारी किये जाते है ..

यह वो तथ्य है जो कोई भी नकार नहीं सकता , कितने बड़े से बड़ा विद्वान् हो , कितने बड़े से बड़ा सेक्युलर हो यह तथ्य वो नकार नहीं सकता जो भी ऊपर दिए हुए है।
सावधान ॥ यह एक फेसबुक क्षेत्र है.

♥♥♥ प्रिन्स कुमावत भारतीय ♥♥♥

भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह

माता पत्नी की पुकार पर ब्लागर देते गाली
कैसा भारत में दिन आया शैतान बजाते ताली
आतंकी हाफिज जैसे जब साहब बन जाते हैं
मंत्री ही आतंक बाद के वाहक बन जाते हैं
भारत माता की पीड़ा फिर कौन समझ पाएगा
सत्ताधारी ही भारत का दुश्मन बन जाएगा
देशभक्त सेना पर देखो कैसी बीती होगी
जिन्दा सैनिक की माताऐं अब कैसे जीती होंगी
प्रधान मंत्री भारत का खुद ही प्रधान नही है
वो क्या लाज रखे भारत की जो खुद स्वतंत्र नही है
ग्रहमंत्री भारत के बन बैठे नये नये ये शिंदे
 जिनने भारत की इज्जत में लगा दिये हैं फंदे
दिग्गी राजा रोज नयी सी खबर सुना देते हैं
मनमोहन जी राग नये नये रोज अलाप रहैं हैं
अल्पसंख्यक कभी भी गलत नही है
सब कमी हिन्दू ही करते हैं
हिन्दु ही है रहा सदा आतंकों का सानी
हिन्दु भारत में करता है सदा सदा मनमानी
इसीलिए भारत को भाई हिन्दु विहीन बनबा दो
और भारत को हाफिज की फोजों से सजबा दो
जब भारत हिन्दु से हिन्दु विहीन हो जाऐ
कांग्रेस के अरमान तभी तो पूरण होने पाऐं
इस बार जैसा मौका तो फिर शायद ही आऐ
शायद अबके काग्रेस की दुग्गी लग जाऐ
दिल्ली को चाहिऐं भारत में लश्कर को लगबाऐ
और भारत से संघी सब आतंकियो को मरबाए
घर घर में है भरे पड़े ये हिन्दु आतंकबादी
इनके कारण बनी हुयी है भारत में आजादी
भारत को ईसाई करने की चाल सफल तब होगी
नहेरु जी के सपनों की तारीफ तभी तो होगी

Friday, January 25, 2013

भारत के सब हिन्दू आतंकी हैं।

दिल्लीश्वर देते हैं भैया शीशों को अब गाली
वोटों ने सेना की कीमत अब कम है कर डाली
माता पत्नी की पुकार पर ब्लागर देते गाली
कैसा भारत में दिन आया शैतान बजाते ताली
आतंकी हाफिज जैसे जब साहब बन जाते हैं
मंत्री ही आतंक बाद के वाहक बन जाते हैं
भारत माता की पीड़ा फिर कौन समझ पाएगा
सत्ताधारी ही भारत का दुश्मन बन जाएगा
देशभक्त सेना पर देखो कैसी बीती होगी
जिन्दा सैनिक की माताऐं अब कैसे जीती होंगी
प्रधान मंत्री भारत का खुद ही प्रधान नही है
वो क्या लाज रखे भारत की जो खुद स्वतंत्र नही है
ग्रहमंत्री भारत के बन बैठे नये नये ये शिंदे
 जिनने भारत की इज्जत में लगा दिये हैं फंदे
दिग्गी राजा रोज नयी सी खबर सुना देते हैं
मनमोहन जी राग नये नये रोज अलाप रहैं हैं
अल्पसंख्यक कभी भी गलत नही है
सब कमी हिन्दू ही करते हैं
हिन्दु ही है रहा सदा आतंकों का सानी
हिन्दु भारत में करता है सदा सदा मनमानी
इसीलिए भारत को भाई हिन्दु विहीन बनबा दो
और भारत को हाफिज की फोजों से सजबा दो
जब भारत हिन्दु से हिन्दु विहीन हो जाऐ
कांग्रेस के अरमान तभी तो पूरण होने पाऐं
इस बार जैसा मौका तो फिर शायद ही आऐ
शायद अबके काग्रेस की दुग्गी लग जाऐ
दिल्ली को चाहिऐं भारत में लश्कर को लगबाऐ
और भारत से संघी सब आतंकियो को मरबाए
घर घर में है भरे पड़े ये हिन्दु आतंकबादी
इनके कारण बनी हुयी है भारत में आजादी
भारत को ईसाई करने की चाल सफल तब होगी
नहेरु जी के सपनों की तारीफ तभी तो होगी

Friday, January 11, 2013

भारत की आजादी को मिटा रहै सैकुलर हैं,जो जितना गंदा सोचे वो ही अब पापूलर है

भारत की आजादी को अब मिटा रहै सेकूलर है,जो जितना गंदा सोचे वो ही अब पापूलर है
हेमराज और शहीद सुधाकर सदा रहेंगे याद हमें
पाक भेड़ियों की करतूते सदा रहैंगी याद हमें
पर भारत की सत्ता के कान नही खुलने बाले
क्यूकि भारत की सत्ता ने ताले कानों में डाले
 भारत की सत्ता में वैठे ये कांग्रेसी बन्दर है
आतंकी के लिए छछूदर हिन्दु के लिए सिकन्दर है
आँखे बन्द किये वैठे है किन्तु बुरा है दिखा रहै
कानों में उगली डाले है गाली जन को सुना रहै
बोलने का मना किया है बुरा ही बुरा है करा रहै
करने के कारण ही भारत घोटालों से घिरा पड़ा
इनके कारण बच्चा बच्चा कर्जदार है बना पड़ा
एक दिन पहला घोटाला दूजे है नया खड़ा
भारत की धरती का पाला इन दुष्टों से खूब पड़ा
भारत को इण्डिया बना कर बच्ची बनादी मिस्ट्रेस
देखने में शर्म आ जाए एसी इन लोगों की ड्रेस
बलात्कारी है खुले घूमते बच्ची बच्ची को डर है,भारत की आजादी को अब मिटा रहै सेकूलर है
 आजादी के लिए जिन्हौने अपना सब कुछ मिटा दिया
भारत माता की खातिर जीवन अपना गला दिया
वे ही मिटा दिये गये है भारत के इतिहास से
जिनने मौजे ली थी मिलकर अग्रेंजी सरकार से
वे बन वैठे भाग्य नियंता भारत की सरकार के
जिनकी कारगुजारियों से मेरा भारत छला गया
जिनके कारण भारत माँ का चीरहरण तक किया गया
जिनके कारण माताओं वहिनों की इज्जत खाक हुयी
भारत माता रोई पर राजनीति न साफ हुयी
हिन्दी चीनी भाई भाई का राग जिन्हौने अलापा था
तिब्बत को भारत से तोड़ा भारत वासी काँपा था
जिसने कहा ये सही नही है उसको गलत बताया था
हिमालय को पार कर चीन तभी तो आया था
पर फोर्स को आर्डर हैतु सत्ता ने तरसाया था
बिन आर्डर के सेना प्यारी आखिर क्या कर सकती है
बिन आर्डर के केवल सेना खुद ही तो मर सकती है।
आज मेरे भारत को प्यारे इसी बात का तो डर है।भारत की आजादी को अब मिटारहैं सैकूलर हैं।
काश्मीर की शुद्ध जमीं पर भैड़िये  आकर वैठे है
और संसद में नक्सलबादी नेता बनकर पेठें हैं
जो भारत को तोड़ रहैं है खुद अपने अभियानों से
भारत को घायल करते है ये अपने ही बाणों से
खुद को देश भक्त बतलाते चीन को अपना साथी
देशभक्त सेना को मारें इनको शर्म नही आती
भारत की संसद में ये ही नेता वनकर वैठे हैं
भारत की जनता को ये गुलाम बना कर ऐंठे हैं
जिनके गुर्गे भारत की सीमा से बाहर घूम रहै
चीन और पाक से जाकर हाथ मिलाते घूम रहै
जो चीन से माँग लाते हैं गोला वारुद और गने
भारतीय रक्त से इन लोगों के सदा रहैं है हाथ सने
सैनिक लाशों मे जो कुत्ते वारुदें भर देते हैं
उनके आका संसद में हिस्सा लेते है
इनके कामों पर ये नेता पर्दा डाले रहते है
सेना की हर योजना से अवगत होते रहते है
फिर भी ये देशभक्त बने है और देशभक्त आतंकी हैं
भारत की संसद की प्यारे ये ही तो नोटंकी है 
देशभक्त भारत वासी का इनके कदमों में सर है ।भारत की आजादी को अब मिटा रहै सेकूलर है।

Thursday, January 10, 2013

प्रधान मंत्री जी सैनिक पेड़ो पर नही लगते जागो पाकिस्तान को जबाव दो।

शहीद हेमराज की शहीदी पर मैं ज्ञानेश कुमार उस अमर शहीद को हिन्दु समाज के साथ अश्रुपूरित श्रद्धाञ्जलि देता हूँ और इस कपोत राज सरकार से कहता हूँ कि 
   केवल पग्गड़ बाँधने से कोई सरदार नही होता
                      प्रधान मंत्री बन जाता है पर वह प्रधान नही होता 
   मनमोहन है नाम तुम्हारा आँखों पर पट्टी मत बाँधो
                      भारत माँ घायल है उस पर और घाव अब मत लादो
   मनमोहन है नाम नही केवल शारीरिक मिटटी का
                       गांधारी की तरह सदा आंखों पर बांधी पटटी का।
   गांधारी औरत थी उसकी यह पीड़ा भी कम न थी 
                      वह फिर भी वीरांगनाओं में गिनती रखती थी
   सौ पुत्रों को जन्म दिया और सौओं निकले आतंकी 
                     उस माँ की हिम्मत भी दैखो जिसने सबकी मौत चखी ।
  मनमोहन जी कुछ समझो और असली सिख्खी दिखलाओ
                     अपनी माताजी को भी अब सम्मान जरा तुम मिलवाओ।
  क्यूं भारत माँ का दामन दुःखो से भर बाया है 
                     इटली की बेटी के आगे माँ का शीश झुकाया है।
  1500 वर्षों से हमसे जिस दानव ने खेला है 
                     गुरु गोविन्द व तेग बहादुर ने जिसको झेला है।
  बन्दा व बैरागी को भी कभी तो याद किया होता
                     तो भारत माँता का सीना एसे छलनी ना होता
  तुमने अपना शिर रख दीना भ्रष्ट पार्टी खाने में 

                     भारत की जनता को लूटा जिसने जीने में मर जाने में 
  भारत की आजादी को हिन्दु ने बलिदान किया 
                     सिख्खों ने ताकत दी उसको हिन्दु को बलबान किया 
  शहीद भगत सिंह और लालपत लाला पर मेरी आंखे रोती है
                             जिनको मिटा मिटा कर ये सरकारें खुश होतीं है।

   जिसने वीरों की समाधि को पैरों से रुदवाया है
                     भारत के वीरों की वाणी को अंगूठा दिखलाया है।
   वीर शिवा और महाराणा जिन्हैं चोर दिखाई देते हैं
                     टीपू , तुगलक बाबर जिनको गुणवान दिखाई देते है
   जिनको दया नही आती है हिन्दु के मर जाने पर 

                             वे ही रोते देखे हैं आतंकी के मर जाने पर 
   जो सैनिक के मर जाने पर छोटी वातें कह सकते हैं
                        पाकिस्तानी आतंकी को 'जी' उद्वोधन कर सकते हैं।
   औरंगजैव और टीपू जिनको महान दिखाई देते हैं 
                            अकबर और अलाउद्दीन महान दिखाई देते हैं
   वहिन वेटियों की इज्जत को जिन्हौने नीलाम किया 
                       मन्दिर तोड़ तोड़ कर जिनने भारत को गुमनाम किया
राजाओं के महल जिन्हौने कब्जे करके अपना नाम दिया 
                       वास्तुकला की शैली कहकर सरकारों ने सम्मान दिया 
   इन्हीं कुकर्मों को सरकार दिखाऐं जाती है 
                        मन्दिर तोड़क दुष्टों को महान बताऐ जाती है
   भारत पर जजिया कर लादा हिन्दु को बरबाद किया
                            दूजे ने भारत में आकर 3शदी तक राज किया 
   इस्लाम का बचा खुचा लेकर हमको बरबाद किया 
                            ज्यों पहले से ही मृत शरीर से कपड़ा भी उतार लिया
   सेवा सेवा की बाते कहकर जिसने गरीब भी लूट लिये
                           विरोध किया पेड़ो से लटका नीचे से फूँक दिये ।
   भारत के हिन्दु हिन्दु को जात पाँत में बाँट दिया 
                    वनबासी को आदिबासी बता बता भारत को बदनाम किया 
                     सेवा करने के नाम जहाँ पर एस्प्रिन बाँटी जाती है
    हिन्दु धर्म से दूर हटाने की तिकड़म अपनायी जाती हैं
                     भारत को नये नये प्रान्तों में बाँटने की साजिस की जाती है
    उन ईसाई और मुसल्मा का भारतीय संसाधन पर 
                      मनमोहन जी तुमने ही कल पहला हक बतलाया है।  

मथुरा | बुधवार सुबह जब सूरज ने आंखें खोलीं तो कोसीकलां के लोगों के लिए इतिहास बदल चुका था। दूरदराज में बसे गांव खैरार के एक घर का बेटा पूरे देश का सपूत बन गया था। वह भी महज तीस साल की उम्र में। हेमराज से हर कोई अपना रिश्ता जोड़ना चाह रहा था। खैरार ही नहीं आसपास के गांवों के लोग भी यह बताना नहीं भूल रहे थे कि पिछली बार छुट्टी पर आए हेमराज ने उनसे क्या कहा था। कोई हेमराज का छुटपन याद कर रहा था तो कोई उनका विद्यार्थी जीवन। कोई सेना की वर्दी में सजे उनके व्यक्तित्व को जेहन में टटोल रहा था तो कोई उनके बांकेपन पर फिदा था। जितने मुंह-उतनी बातें। सच ही कहा गया है, शहादत होती ही है इतनी गौरवशाली कि जीते-जी लोग उसकी कल्पना से रोमांचित हो उठते हैं। अपनी धरती पर आए दुश्मन से दो-दो हाथ करते हुए शहीद हुए लांसनायक हेमराज की खबर जिसने सुनी, उसके पांव उनके घर की ओर मुड़ गए। वीरगति पाए योद्धा के दर को सलाम करने के लिए मेला लग गया। गांव की हद छोटी पड़ गई, जनसैलाब उसके बाहर तक हिलोरे ले रहा था। सायंकाल शहीद का शव आने तक लोगों का हुजूम डटा रहा। मौके पर मौजूद डीएम समीर वर्मा और एसएसपी प्रदीप कुमार ने गांव के बुजुर्गो से बात करके शव पेटिका को खुलने नहीं दिया। माना जा रहा है कि शहीद के छत-विक्षत शव को देखकर भावनाएं न भड़कें, इसलिए प्रशासन ने यह कदम उठाया। इससे पहले सुबह आई बेटे की शहादत की खबर ने कुछ देर के लिए मां मीना देवी को भाव विह्वल किया, लेकिन उसके बाद साथ की महिलाओं के साथ वह बहू धर्मवती को संभालने में लग गईं। शहीद की पत्‍‌नी की हालत ने मौके पर मौजूद सभी की आंखों को नम कर दिया। हेमराज को सेना में जाने का शौक ऐसे ही नहीं चढ़ा। इसका कारण उनका फौजी परिवार में पला-बढ़ा होना था। प्रेरणास्त्रोत बने सेना में नौकरी कर चुके उनके दो चाचा। ऐसे में हेमराज भी बहादुरी दिखाने को सन 2001 में सेना में भर्ती हो गए। मृदुभाषी और सौम्य व्यवहार के धनी हेमराज को हथियारों से बेहद प्यार था।
          अभी मैच जीते तुम्हैं बहुत समय नही बीता है बहुत खेल लिए क्रिकेट अगर खेल का भूत उतर गया हो तो सीमा पार से भारतीय सैनिकों के साथ हो रहै खेल का भी होश कर लो और जबाव दो पाकिस्तान को वैसे तुमसे उम्मीद करना ही व्यर्थ है क्योकि तुम तो एक लूलू प्रधान मंत्री हो जो कि अपने आप बैठ भी नही सकते और खड़े भी नही हो सकते।खैर अपनी सोनिया जी से कुछ बता ही दो कि बाद में भारत को बरबाद कर लेना अभी तो पाकिस्तान के खिलाफ जंग लड़ लो।क्योंकि अगर जंग जीत गये तो जंग जीत सिंह कहला जाऔगे और भारत की यह निरीह व बेबकूफ जनता आपको मनमोहन सिंह की जगह जंगजीत सिंह कहने लगेगी और फिर भारत लूटो अभियान में भारत की माता श्री मती सोनिया गाँधी जी की हसरते जल्दी ही पूरी हो सकेगी।क्योकिं बेवकूफ भारतीय दोबारा बैबकूफ बन ही जाऐंगे वैसे भी अभी विपक्ष का मैराथन कम नही हुआ है।इन्हैं मैराथन करने दो जब तक जंग जीत कर जंग जीत बन जाओं कुछ इज्जत जनता की नजरों में हो जाएगी।वैसे भी भारत अगर जीत भी जाए तो लाइन लैडी की तरह तुम्हारे हाथ में भी भारत की तकदीर है ही जैसे आयरन लैडी इन्दिरा गाँधी ने भारतीय सैनिकों की जीत को पलीता लगाकर पाकिस्तान को उसकी जमीन व सैना दे दी थी वैसे तुम भी दे देना हाँ बस हम चाहते हैं कि एक बार आर पार की हो जाए क्योंकि इससे इन पाकिस्तानियों के दिमाग कुछ समय के लिए ठिकाने में आ जाऐंगे वैसे भी हमारे भाग्य में तो परेशान होना लिखा ही है कि आजादी का मूल्य हिन्दु दे लैकिन संसाधनों पर पहला हक मुसलमान व ईसाई पाएगा यह आपने पहले ही घोषित कर ही दिया है।बाकी मुझ वेवकूफ के अलाबा और भी है जिन्हौने यह कहा है लो पढ़ो और शेयर करो जो लिंक करने लायक समझे लिंक भी कर लें किन्तु चोरी न करें।        जय श्री राम
 कुछ महत्वपूर्ण लोगो की राय ---
1.जनरल शंकर राय चौधरी - श्री चौधरी का कहना हैं की हमें युद्ध की तैयारी करनी चाहिए हमें गंभीरता से विचार करना चाहिए सांस्कृतिक आदान -प्रदान भले ही चलता रहें हमें उनका जवाब उसी भाषा में देना चाहिए जो वह समझते हैं
2. भरत शर्मा --प्रमुख रक्षा विशेषज्ञ शर्मा का कहना हैं की बात चीत का समय समाप्त हो गया अब जवाब देना का समय आ गया हैं
3. मुख्तार अब्बास नकवी -- भाजपा प्रवक्ता ने कल कहा की अगर उसने दो सर काटा हैं तो हमें 20 सर काट कर उसका जवाब देना चाहिए
4. उद्धव ठाकरे -- भारत सरकार में अगर हिम्मत हैं तो पाक में घुस कर बदला लेना चाहिए नही तो पाक इस सरकार में दिल्ली में घुस जाएँगी
कारगिल युद्ध में भारत सरकार जानती थी की उपर सब पाकिस्तानी सैनिक हैं लेकिन एक बार भी अटल सरकार ने पाकिस्तान का नाम नही लिया और कहा सब आतंकवादी हैं और हमारे सैनिक लतिया कर पाक को उसकी औकात बताएं

Tuesday, January 1, 2013

कब आता है नया साल लेकर खुशियाँ ।

जव प्रकृति रो रही हो पेड़ों से पत्ते झड़ रहैं हों।पेड़ पोधे फूल रहित हों चारों तरफ वर्फ की मार पड़ रही हो सूर्य भी उदय न हो पा रहे हों।ठण्ड के कारण पशु पक्षी भी चहचहा न रहे हों फिर मानव की तो औकात ही क्या है हाँ वह विना मतलब जबरजस्ती ही कुछ शराव पी लें और नशे में ही खुशी का अनुभव करलें तो उसका तो कुछ भी नही कहा जा सकता हैं।लैकिन प्रकृति ने जो जो त्यौहार बनाऐं है सभी का अपना अपना समय निश्चित किया है।वो भी वैज्ञानिकता के साथ में पर आज का मानव भारत की हर बात को गलत सावित करने की होड़ में सही चीजों ही नही वैज्ञानिकता पर खरी उतरने बाली वातों को भी दर किनार कर रहा है। साल का उत्सब तब ही अच्छा लगता है जब मौसम सुहावना हो फूल खिल रहे हों हर तरफ खुशियाँ हों।और एसा समय होता है चेत्र मास में जवकि फसल पकने को होती है किसान खुश होता है।बागों में कोयल गीत सुनाती है पेड़ो पौधों पर मधुकर व मधुकरी गुँजन करती है चारों तरफ मधुर सुगन्ध वहता है।लो नववर्ष पर पढ़ो यह जानकारी भरा लेख लेखिका रश्मि राय का
भारतीय काल गणना पंथ निरपेक्ष होने के साथ-साथ सृष्टि की रचना व राष्ट्र की गौरवशाली परम्पराओं को दर्शाती है।
आज ...... लोगों को अंग्रेजी साल ने नव वर्ष पर....एक दूसरे को शुभकामनाएं देते हुए .... और, शराब पीते हुए देख कर मुझे बहुत ही अजीब सा लगा....!
साथ ही.... एक बात मुझे समझ नहीं आती है कि..... आखिर हम और हमारी सरकारें ...... अंग्रेजियत के इतने दीवाने क्यों हैं...????

जबकि..... उपलब्ध साक्ष्य के अनुसार.... ग्रेगेरियन कलेण्डर की काल गणना मात्र दो हजार वर्षों के अति अल्प समय को दर्शाती है.... जबकि यूनान की काल गणना 3580 वर्ष, रोम की 2757 वर्ष यहूदी 5768 वर्ष, मिस्त्र की 28671 वर्ष, पारसी 198875 वर्ष तथा चीन की 96002305 वर्ष पुरानी है।

इन सबसे अलग .....यदि, हम भारतीय काल गणना की बात करें तो हमारे ज्योतिष के ......पृथ्वी की आयु 1 अरब 97 करोड़ 39 लाख 49 हजार 112 वर्ष है। जिसके व्यापक प्रमाण हमारे पास उपलब्ध हैं। हमारे प्राचीन ग्रंथों में एक-एक पल की गणना की गयी है।

जिस प्रकार ईस्वी सम्वत् का सम्बन्ध ईसा जगत से है....... उसी प्रकार हिजरी सम्वत् का सम्बन्धमुस्लिम जगत और हजरत मुहम्मद साहब से है।
परन्तु..... हमारी विक्रमी सम्वत् का सम्बन्ध...... किसी भी धर्म से न हो कर...... सारे विश्व की प्रकृति, खगोल सिद्धांत व ब्रह्माण्ड के ग्रहों व नक्षत्रों से है।
इसलिए भारतीय काल गणना पंथ निरपेक्ष होने के साथ-साथ सृष्टि की रचना व राष्ट्र की गौरवशाली परम्पराओं को दर्शाती है।

सिर्फ इतना ही नहीं.....ब्रह्माण्ड के सबसे पुरातन ग्रंथ वेदों में भी इसका वर्णन है।
नव संवत् यानि संवत्सरों का वर्णन यजुर्वेद के 27वें व 30वें अध्याय के मंत्र क्रमांक क्रमशः 45 व 15 में विस्तार से दिया गया ह... जो विश्व में सौर मण्डल के ग्रहों व नक्षत्रों की चाल व निरन्तर बदलती उनकी स्थिति पर ही हमारे दिन, महीने, साल और उनके सूक्ष्मतम भाग आधारित होते हैं।

इसी वैज्ञानिक आधार के कारण ही..... पाश्चात्य देशों के अंधानुकरण के बावजूद, चाहे बच्चे केगर्भाधान की बात हो, जन्म की बात हो, नामकरण कीबात हो, गृह प्रवेश या व्यापार प्रारम्भ करनेकी बात हो, सभी में हम एक कुशल पंडित के पास जाकर शुभ लग्न व मुहूर्त पूछते हैं। .
और तो और..... देश के बडे से बडे़ सेक्युलर राजनेता भी सत्तासीन होने के लिए सबसे पहले एक अच्छे मुहूर्त का इंतजार करते हैं..... जो किविशुद्ध रूप से विक्रमी संवत् के पंचांग पर आधारित होता है।

क्योंकि...भारतीय मान्यतानुसार कोई भी काम यदि शुभ मुहूर्त में प्रारम्भ किया जाये तो उसकी सफलता में चार चांद लग जाते हैं।

और... वैसे भी.... भारतीय संस्कृति श्रेष्ठता की उपासक है.... जो प्रसंग समाज में हर्ष व उल्लास जगाते हुए एक सही दिशा प्रदान करते हैं .... और, उन सभी को हम उत्सव के रूप में मनाते हैं।

फिर क्या.... हम अपनी गुलाम मानसिकता के आगे इतने बेबस हैं कि..... आज आजादी के 65 साल भी हम अपना वैज्ञानिक और सर्वश्रेष्ठ विक्रमी कैलेण्डर नहीं अपना पाए हैं...????