Saturday, November 10, 2012

यहूदियों पर कितना अत्याचार किया है इन सेवा भावी ईसाईयों ने

भूत काल के समय का सत्य जब वर्तमान की दहलीजों को पार करता हुआ भविष्य तक आता है तो इस वर्तमान के लिए यही सत्य इतिहास कहा जाता है। औऱ कोई कितना भी क्यों न झुपाना चाहै किन्तु यह सत्य कभी न कभी जरुर प्रकट हो जाता है।और यह धोके बाजी खुल जाती है।
ईसाईयत दुनिया में एक ऐसी सभ्यता है जिसने अपने पैदा होने के लिए जाने कितने ढोंग खड़े किये हैं।अपने पैदा होने के लिए ईसाईयत ने अपने पैत्रक धर्म यहूदियों पर अत्याचारों की झड़ी लगा दी और तब चैन लिया जब उन्हैं नेस्तनाबूद कर दिया।इतिहास यह तो जानता ही है कि ईसाईयों रोम के पोप के इशारे पर जर्मनी के तानाशाह ने 60 लाख यहूदियों को ग्रेफाइट की सुरंगो में सरका सरका कर मार डाला था और दया का धर्म कहे जाने बाले इस ईसाई धर्म ने आह तक न निकाली निकलती भी कहाँ से जवकि ईसाई सरगना पोप के इसारे पर जवकि यह कत्लेआम हो रहा था।लैकिन इन यहूदियों की जिजीविशा के क्या कहने। जब उन्हैं कहीं किसी भी राष्ट्र में पनाह न मिली तो आ गये सम्पूर्ण संसार की शरणस्थली भारत जहाँ वेचारों को शरण मिल पाय़ी और यहीं से उन्हौने अपने आपको संगठित किया तथा याद रखा इस संबोधन के साथ कि कहाँ मिलोगे -येरुशलम औऱ 1948 में अपने देश को पुनः प्राप्त कर लिया।
चलते -2 यह भी बताता चलूं कि हजरत मूसा ने प्राचीन मिश्र देश से सिनाई के मरुस्थल को पार करके अपने अनुयायियो के साथ पैलेस्टाइन को आ गये तथा यहाँ येरुशलम को केन्द्र बनाकर अपने पंथ का प्रचार प्रसार करते हुये उस क्षेत्र को एक देश के या एक राष्ट्र में स्थापित किया।बाईबिल का पूर्वार्ध भाग जिसे ईसाई ओल्डटेस्टामेंट कहते हैं यहूदी इसे तौरत कहते हैं।यह यहूदियों का प्रमुख धार्मिक ग्रथ है।जिसके धार्मिक स्थलों को आज भी टेम्पल या मंदिर के नाम से जाना जाता है।जिसका एक मात्र ध्वंसावशेष वेलिंग वाल को इन दुष्ट ईसाईयों ने यहूदियों को अपमानित करने के लिए उसी तरीके से विना तोड़े छोड़ दिया था जैसे कि नालायक औरंगजैव ने विक्रमादित्य के बनवाऐ हुये विश्वनाथ मंदिर को हिन्दुओं को अपमानित करने की दृष्टि से विना तोड़े छोड़ दिया था।यहूदियों व पारसियों ने कभी भी हिंदुओं की तरह ही अपने धर्म को तलवार के बल पर नही फैलाया है।और इसी बात की सजा ये तीनों धर्म आज भी झेल रहैं हैं।और तो और ये तीनो धर्म
लगातार इन दुष्टों के दुश्प्रचार का भी लक्ष्य रहै हैं।नीरो नामक श्रेष्ठ राजा को बदनाम करना तथा शेक्श पीयर द्वारा शाईलाक नाम का काल्पनिक पात्र यहूदी धर्म से संबधित रखकर बास्तव में यहूदियों को बदनाम करने की ही साजिस के तहत किये गये कुछ उदाहरण मात्र हैं। लैकिन इतना सब झेलने के बावजूद भी यह तीनो समाज आज तक अपने को बचाए रख पाये है। यह इनकी जिजीविशा का ही परिणाम है। लैकिन ध्यान रखने की बात यह भी है कि दुनियाँ ने चाहै इन यहूदियों व पारसियों के साथ अत्याचार के पृष्ठ पर पृष्ठ क्यों न लिख दिये हों किन्तु भारत के अतिरिक्त इनको हर जगह अपमान का ही घूँट पीना पड़ा है।यहूदियों के अपमान की गाथा मे शाईलाक नामक पात्र द्वारा माँगा गया 1 पांड गोस्त एक मुहावरे के रुप में पाउण्ड आफ फ्लेश के नाम से फेमस करके यहूदियों के प्रति ईसाईयत की घृणा को ही प्रकट करता है।लैकिन येरुशलम में फिर मिलेगें के वाक्य द्वारा परस्पर विदा होते यहूदियों ने अपने येरुशलम को नही विसरित किया।इसके परिणाम स्वरुप उन लोगों को अपनी मात्रभूमि लगभग 2000 वर्षों  वाद प्राप्त हो ही गयी।उन्हौने अपने खण्डित राष्ट्र अखण्ड तो बना ही लिया साथ ही अपनी सीमायें भी प्राप्त कर लीं।
धर्म की दृढ़ता पूर्वक रक्षा से गँवाया हुआ राष्ट्र कैसे दोबारा प्राप्त किया जाए इसका ज्वलन्त प्रमाण आज के समय में इजराइल है।
              लैकिन ध्यान दैने की सवसे प्रमुख बात यह है कि यह मूसा कौन थे मूसा थे मिश्र देश के निवासी और इस मिश्र के प्राचीन 11 सम्राटों के नाम के साथ राम का नाम जुड़ा है।औऱ दुनिया यह भी जानती ही कि राम के नाम से जो है वे सब हिन्दु ही तो हैं।
           

No comments:

Post a Comment