Thursday, November 22, 2012

कसाव को फाँसी या कांग्रेस की बदमासी


आज सुबह वड़े ही दिनों से ठण्डे वस्ते  में पड़ी हुयी कसाव की फाँसी अचानक सरकार को याद ही नही आयी वल्कि उसका तत्काल ही मामला 35 कर दिया गया।ताज्जुव की बात तो यह किसी के कानों कान खबर भी नही और आतंकी उर्फ सरकार का रिस्तेदार को फाँसी की सजा दे भी दी गयी ये भी तब जबकि इतने दिनों तक इंतजार हो रहा था और फाँसी जब दी गयी कि फाँसी के लिए कागजो पर हस्ताक्षर करने बाला ग्रहमंत्री भारत से सात समुन्दर पार रोम में हैं।न किसी मीडिया को खबर न दुनिया को खबर और न ही उसके केश की सुनबाई करने बाले वकील को ही कानों कान खबर हुयी और कसाब को सजा भी हो गयी दफना भी दिया गया शावाश करिश्मा करने में माहिर कांग्रेस सरकार तुम तो सचमुच हैरी पाटर से भी कई गुना बड़ी करिश्मा करने की ताकत रखती हो।क्योकि भारत की आजादी से लेकर आज तक तुमने किया ही क्या है केवल करिश्मे के सिवाय कभी भगत सिंह राजगुरु व सुखदेव को फाँसी लगवा कर कभी चन्द्रशेखर आजाद को मरवाकर कभी नेताजी की हत्या के मामले की लीपापोती करके कभी भारत के सभी क्रांतिकारियों के कारनामों को दरकिनार कर केवल कांग्रेस के पिठ्ठुओं को स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी वनाकर कभी जीप घोटाले के अभियुक्त कृष्णा मेनन को अमरीकी राजदूत बना कर कभी श्यामाप्रसाद मुखर्जी की हत्या करवा कर कभी दीन दयाल उपाध्याय को रेल के अन्दर मरबा कर कभी लंका के खिलाफ एल.टी.टी.ई पैदा कर फिर उसी के खिलाफ शान्ति सेना भेजकर कभी भिंडरावाले को अपने राजनैतिक लाभ के लिए सहयोग करके फिर जब वह बागी हुआ तो उससे बदला लेने के लिए बूट पहने सैनिकों को स्वर्ण मंदिर में पहुँचा कर खालिस्तानियों के मंसूवो को आगे बढ़ा कर कभी फिर इन्दिरा की हत्या का बहाना कर सारे सिख समाज पर 1984 में दंगे कराकर हिन्दु समाज व सिख समाज की दोस्ती में आग लगाकर और न जाने कितने जाने अनजाने मामलों में कोई न कोई करिश्मा करके तुमने भारत की जो रैड़ ली है सचमुच तुम हमेशा भारतीयों के दिलों की गहराईयों में घृणा की गहनतम गहराईयों तक उतर गई हो ।है कांग्रेस तुम्हारे भारत की रेड़ लेने में बहुत उपकार हैं।
लैकिन हमने तो आज पोस्ट जो दी है  उसका मकसद है यह पता लगाना कि
कसाब की डेंगू से भई  मौत या मिली वास्तविक फाँसी
सुन सुन मोकू  आवे हांसी
कल तक याकू रोटी खवाई कैसे दई होवेगी सोनिया मैया ने वेटा कू फाँसी 
मोय आवे सुन सुन हाँसी 
यह है पक्की कांग्रेसी बदमासी
कसाब को फाशी हुई भी या सोनिया ने उसको छुपा दिया है .....कुछ तो गडबड है नही तो एकदम से फासी ...???? हमको तो विश्वास हो नही रहा है भाइयो ...!!!
कसाब को फांसी तो दे दी गयी लेकिन कुछ सवाल :-, 1. क्या कसाब की मौत डेंगू से हो चुकी थी ?, 2. ये फांसी का कार्यक्रम अचानक कैसे बना ??, 3. गुजरात चुनाव के लिए प्रलोभन तो नहीं कहीं ये ?, 4. मीडिया लगातार कांग्रेस की तारीफ कर रही है, ठीक चुनाव से पहले ये कदम कहीं वोट बैंक की राजनीति तो नहीं ??, खैर सवाल कई हैं, जवाब भी हम सोशल मीडिया वाले खोज ही लेंगे, पर फिलहाल इसी बात की ख़ुशी है की देश के गुनाहगार को फांसी दे दी गयी है,क्या अब अफजल गुरु की बाकी है?
कई चीजे हैं जो मुझे बहुत कुछ सोचने को मजबूर करती हैं और शायद मैं गलत नही कह रहा ���ूँ सोच तो आप भी रहै होंगे  बहुत सी बातें हैं ,,जैसे कि कही कसाब डेंगू से तो नही मरा ? सद्दाम हुसैन का अंतिम वीडियो तक जारी हुआ मगर कसाब का नही ? यहाँ तक की पुणे स्थित जिस यरवडा जेल में उसे दो दिन पूर्व शिफ्ट किया गया ,वहाँ उसे दफना भी दिया गया और उसकी झलक भी नही दिखाई गयी ....
अब राम जाने कि फाँसी हुयी हैं,,या डेंगू से मरा हैं ? या कही ऐसा तो नही कि कसाब को रातोंरात पाकिस्तान ही भेज दिया गया हो ? क्योकि जो कांग्रेस भगतसिंह ,, राजगुरु और सुख देव की मृत्यु फाँसी से बता सकती हैं,,उन्हें क्रांतिकारी ना मानकर आतंकी मानती हो और नेहरु जैसे कामुकता की प्रतिमूर्ति  महानुभावों  को हमेशा अपना  आदर्श मानती हो ,, बाबर ,,औरंगजेब ,,अकबर इत्यादि आक्रान्ताो  के नाम पर आज भी दिल्ली की सड़कें हों ? ऐसी नीच सरकार की एक एक घोषणा पर मुझे संदेह प्रकट होता हैं....
कही यह नौटंकी चुनाव के मद्देनजर तो नही की गई ? क्योंकि ग्रहमंत्री सुशिल कुमार शिंदे खुद  महाराष्ट्र से हैं,,जहाँ चुनाव होने हैं और कांग्रेस कसाब के जरिये अपना उल्लू सीधा कर रही हो ? या कही कल से शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र को देखते हुए इसे नाटकीय ढंग से प्रस्तुत किया गया हो ? आखिर क्या वजह रही कि पहले यही सरकार कहती थी कि अभी कसाब को फाँसी मुमकिन नही क्योकि फाँसी कतार से दी जाती हैं और अभी कसाब से पहले भी कई विचाराधीन मुलजिम हैं,,जिन्हें फाँसी मिलनी बाकी हैं,,,अफजल गुरु को अभी तक फाँसी नही हुयी ,,फिर अचानक कसाब को आज सुबह ०७:३६ पर कैसे चुपचाप फाँसी दे दी गयी ?कहीं शिव सेना प्रमुख ठाकरे की लोक प्रियता देख कर कांग्रस घवड़ा गई हो और उसे अपना अन्त विल्कुल निकट आता दिखाई दे रहा हो तो इस  आतंक बादी जो कि डेंगू के कारण मर ही गया था उसे मरे मराए को फाँ सी लगबा कर इसकी खाल से कीमत बसूल रही है हिन्दुऔ को वेवकूफ बनाकर हिन्दु धर्मबादी पार्टियों की लोकप्रियता से घवड़ाकर 
लैकिन बहुत से सवाल हैं जो आज दिनाक २१-११-२०१२ के गर्भ में छुपे हुए हैं.. २६-११ -२००९ को हुए हमले का अंतिम चश्मदीद अजमल कसाब भले ही आज फिर घटना की तारीख से पांच दिन पहले सुर्खियों में छा गया हो मगर मुझे बहुत कुछ एसा दिखाई दे रहा हैं जो धुंधला धुंधला दिखाई दे रहा हैं,,वक्त की धूल और समय के कोहरे को साफ़ होने दीजिए ,,हकीकत सामने फिर आएगी ,,,अगर कसाब को फाँसी देनी ही थी तो पांच दिन बाद २६-११ की बरसी पर क्यों नही दी गयी ?
 खैर ,,कहीं यह सारा प्रपंच चुनाव के मद्देनजर  या कल से शुरू होने शीतकालीन सत्र के मद्देनजर तो नही हैं ,, या ममता के अविश्वास प्रस्ताव की आंच से बचने के लिए हैं,,इस सवाल का जवाब वक्त पर ही छोडना मुनासिब होगा ...तब तक आप भी सोचिये कि पहले कतार से फाँसी देने की बात कहने वाली सरकार अब एकदम से कैसे पलट गयी ? क्यों नही उसकी कोई भी वीडियो फुटेज प्रसारित की गयी ? सवाल बहुत हैं मगर जवाब नही 
कृपया भारत की गरीव व शिक्षित जनता इस पर विचार करे क्यों कि हो सकता है कि आतंकी तो पंहुचा दिया हो पाकिस्तान औऱ गाना गाया जा रहा हो भारत में 
और नही तो जिसको जेल में रोटियाँ खुद सोनिया जी ने खिलाई हों ।उसे अचानक फाँसी लग जाऐ यह कठिन अवश्य है तो कांग्रेस के लिए एसा क्यों होता है कि कांग्रेस खुद ही आजादी व उससे पहले से ही क्यों शक के घेरे में आ जाती है।

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