Sunday, December 9, 2012

यह है देश की सरकारी मशीनरी की हकीकत

 यह हमारे देश की एसी हकीकत है जिससे हर व्यक्ति दो चार होता है।और शायद परेशानी हर भारतीय के भाग्य में लिखी है।सरकारी कोई काम कराना आसान नही है।नयी नयी माँग की जाती हैं।और सब कुछ हो तो मामूल की माँग की जाती है।जागो भाईयो क्या अभी भी एसी ही सरकारे ही बनवानी है जागो जागो जागो इन अंधी वहरी गूंगी सरकारों को उखाड़ फैंको जिसने हमें तुम्हैं भी भ्रष्ट कर दिया हैं। 
ट्रेफिक हवलदार - लायसेंस बताओ!
चालक - नहीं है साब!
ट्रेफिक हवलदार - क्या तुमने ड्रायविंग लायसेंस बनवाया है?
चालक - नहीं।
ट्रेफिक हवलदार - क्यों ?
चालक - मैं बनवाने गया था, पर वो पहचान पत्र माँगते हैं। वो मेरे पास नही है।
ट्रेफिक हवलदार - तो तुम मतदाता पहचान पत्र बनवा लो।
चालक - मै वहाँ गया था साब! वो राशनकार्ड माँगते है। वो मेरे पास नहीं है।
ट्रेफिक हवलदार - तो पहले राशन कार्ड बनवा लो।
चालक - मैं म्युनिसिपल भी गया था साब! वो पासबुक माँगते हैं।
ट्रेफिक हवलदार - तो मेरे बाप बैंक खाता खुलवा ले।
चालक - मैं बैंक गया था साब! बैंकवाले ड्रायविंग लायसेंस माँगते हैं।

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