* यदि सरकारी टीचर स्कूल में पढ़ाने न आए तो आप क्या कर सकते हैं?
*यदि डॉक्टर मरीज का इलाज न करे तो आप क्या कर सकते हैं?
* यदि राशन दुकानदार सरेआम आपके राशन की च
ोरी करे तो आप क्या
कर सकते हैं?
* यदि पुलिस वाला हमारी शिकायत पर कार्रवाई न करे तो आप क्या कर सकते हैं?
* यदि सरकारी इंजीनियर ठेकेदार से रिश्वत खाकर घटिया सड़क पास कर
दे जो चंद दिनों में टूट जाए तो आप क्या कर सकते हैं?
* आप क्या कर सकते हैं यदि सफाईकर्मी अपना काम ठीक से नहीं करते और आपका इलाका बदबू मारता है?
ज्यादा से ज्यादा हम बड़े अफसरों को शिकायत करते हैं लेकिन हमारी शिकायतों पर कोई सुनवाई नहीं होती। कुल मिलाकर, सरकारी स्कूलों में न आने वाले शिक्षकों या सफाई न करने वाले सफाईकर्मी, राशन दुकानदार, सरकारी ठेकेदार, नेताओं, पुलिसवालों या अफसरों पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं है।
और यही कारण है कि आजादी के 65 साल बाद भी देश में इतनी अशिक्षा और गरीबी है। लोग टीबी जैसी सामान्य बीमारी से मर रहे हैं। लोग भूखे पेट सोने को मजबूर हैं। सड़कें टूटी हुई हैं और शहर गंदगी का ढेर बन गए हैं।
कहने को तो लोकतंत्र में हम मालिक हैं। लेकिन सच्चाई ये है कि इसमें हमारी भूमिका सिर्फ 5 साल में एक बार वोट देने तक ही सीमित है और अगले 5 साल हम नेताओं और असफरों के सामने गिड़गिड़ाते रहते हैं जो हमारी एक नहीं सुनते।
तो फिर क्या आपको नही लगता कि देश मे व्यवस्था में परिवर्तन होना चाहिये …
जनता का शासन जनता के हाथ में दिया जाना चाहिये … जो अभी जनता के नाम पर कुछ चुनिंदा लोगो के हाथ में सीमित है …
आइये पहल करे 'स्वराज' की, समाज में जागरुकता बढाये … लोकतंत्र और नागरिक अधिकारो और कर्तव्य की समझ बढाये … लोगो मे राजनीति की समझ बढाये ताकि वो अपने शासन को श्रेष्ठतम रीति से चला सके …
योगेश गर्ग
कर सकते हैं?
* यदि पुलिस वाला हमारी शिकायत पर कार्रवाई न करे तो आप क्या कर सकते हैं?
* यदि सरकारी इंजीनियर ठेकेदार से रिश्वत खाकर घटिया सड़क पास कर
दे जो चंद दिनों में टूट जाए तो आप क्या कर सकते हैं?
* आप क्या कर सकते हैं यदि सफाईकर्मी अपना काम ठीक से नहीं करते और आपका इलाका बदबू मारता है?
ज्यादा से ज्यादा हम बड़े अफसरों को शिकायत करते हैं लेकिन हमारी शिकायतों पर कोई सुनवाई नहीं होती। कुल मिलाकर, सरकारी स्कूलों में न आने वाले शिक्षकों या सफाई न करने वाले सफाईकर्मी, राशन दुकानदार, सरकारी ठेकेदार, नेताओं, पुलिसवालों या अफसरों पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं है।
और यही कारण है कि आजादी के 65 साल बाद भी देश में इतनी अशिक्षा और गरीबी है। लोग टीबी जैसी सामान्य बीमारी से मर रहे हैं। लोग भूखे पेट सोने को मजबूर हैं। सड़कें टूटी हुई हैं और शहर गंदगी का ढेर बन गए हैं।
कहने को तो लोकतंत्र में हम मालिक हैं। लेकिन सच्चाई ये है कि इसमें हमारी भूमिका सिर्फ 5 साल में एक बार वोट देने तक ही सीमित है और अगले 5 साल हम नेताओं और असफरों के सामने गिड़गिड़ाते रहते हैं जो हमारी एक नहीं सुनते।
तो फिर क्या आपको नही लगता कि देश मे व्यवस्था में परिवर्तन होना चाहिये …
जनता का शासन जनता के हाथ में दिया जाना चाहिये … जो अभी जनता के नाम पर कुछ चुनिंदा लोगो के हाथ में सीमित है …
आइये पहल करे 'स्वराज' की, समाज में जागरुकता बढाये … लोकतंत्र और नागरिक अधिकारो और कर्तव्य की समझ बढाये … लोगो मे राजनीति की समझ बढाये ताकि वो अपने शासन को श्रेष्ठतम रीति से चला सके …
योगेश गर्ग
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