Sunday, October 14, 2012

संप्रदाय क्या है ?

 आखिर यह सम्प्रदाय क्या चीज है जिसने भारतीय जनमानस व भारतीय सत्ताधीशों के दिमागों को दिशाहीन कर दिया है।तो इस संप्रदाय की परिभाषा क्या है यह जानने के लिए मैने कई पुस्तकों को पढ़ डाला तथा उससे जो सार ग्रहण किया वह यह है।
  सम्प्रदाय एसे समाज को कहा जाता है जिसका कोई प्रवर्तक या मसीहा या पैगंवर होता है।और उन मसीहा या पैगंवर ने किसी पुस्तक या किताब द्वारा अपने सिद्धांतो को जनता तक पहुचाया होता है या आगे आने वाले समाज को यह किताब शिक्षा प्रदान करती है। सीधी कहने की बात यह है कि जो महान लोग समाज में धार्मिक व सामाजिक क्रांति पैदा की जाती है और उनके द्वारा एक नया सिद्धांत पैदा किया जाता है तथा लोग उस सिद्धांत का अनुसरण करते है  तो वे सामाजिक क्रांति के जनक व्यक्ति मसीहा, प्रवर्तक या पैगंबर कहलाते है व उनका चलाया गया सिद्धांत सम्प्रदाय कहलाता है।जैसे महर्षि दयानन्द जी ने एक युग क्रांति पैदा की तथा एक नये समाज आर्य समाज की स्थापना की तो महर्षि दयानन्द जी उसके प्रवर्तक या पैगंवर हुए तथा यह आर्य समाज नाम का एक सम्प्रदाय चल निकला इनकी पुस्तक है सत्यार्थ प्रकाश।इसी तरह कुछ पुरातन हिन्दुस्तानी समप्रदाय है भगवान महावीर द्वारा चलाया गया जैन सम्प्रदाय जिसे आज बिना जाने समझे धर्म कहा जाता है सत्यता  में जैन  तथा भगबान वुद्ध द्वारा चलाया गया संप्रदाय वौद्ध संप्रदाय  ही हैं ।वौद्धों की धार्मिक पुस्तक त्रिपिटक है। इसी  प्रकार  गुरु नानक जी द्वारा चलाया गया सिख धर्म भी हिन्दुस्थानी या हिन्दु  धर्म का  सम्प्रदाय ही हैं व गुरू ग्रंथ साहिब  इस संप्रदाय  की धार्मिक पुस्तक है।ये सभी महान पुस्तके हमारे जैन,आर्य,वौद्ध,सिक्ख बंधुओं को धार्मिक जानकारी के साथ साथ सामाजिक जीवन मंत्र भी उपलब्ध कराती हैं।
       अब विदेशी सम्प्रदायों की बात करें तो पारसी सम्प्रदाय के पैदा करने बाले महान पुरुष जरथ्रुस्त थे व संग ए अवेस्ता इस धर्म की प्रमुख पुस्तक थी तथा यहुदी धर्म को चलाने बाले थे हजरत मूसा जिन्हौने यहूदी धर्म चलाया तथा इनकी पुस्तक आज भी ओल्ड टेस्टामेंट के नाम से ईसाई धार्मिक ग्रंथ बाईविल का एक हिस्सा है।अब बात करें उन दो  स्वघोषित धर्मों की जिन्हौने स्वयं के पैदा होते ही सम्पूर्ण संसार में एक अजीव माहौल या अस्त व्यस्तता पैदा कर दी और आज भी धार्मिक रुप से कोई भी देश अपने आप को शांत महसूस नही कर रहा है।ये दो सम्प्रदाय हैं लगभग नही सही सही 2012 वर्ष पहले पैदा हुआ महान विचारक व चिंतक ईसा मसीह द्वारा चलाया गया ईसाई धर्म जिसकी पुस्तक है बाईविल।अपने पैदा होने के समय पर जिस सम्प्रदाय ने इतना महान त्याग किया कि स्वयं उसके प्रवर्तक ही सूली चढ़ा दिये गये हो समझ नही आता कि उसी सम्प्रदाय के सिद्धांत कैसे मानव को मानव से अलग करने के इस सिद्धांत पर उतारु हो गये कि यह प्रतिपादित करने लगे कि प्रभु का सच्चा पथ प्रदर्शक तो केवल यीशू ही है उसके अलावा अन्य रास्ते आपको भगवान तक नही पहुँचाते या तो आप खुद ही यीशु के वताऐ मार्ग पर चलो नही तो जबरन आपको इस मार्ग पर चलना पड़ेगा।
                   इनके इसी द्वंद ने माया,एजिटेक  आदि महान  सभ्यताऐं ही नही अपितु खुद आस्ट्रेलिया व अमेरिका कनाडा आदि की पुरातन सभ्यताऐं भी नष्ट हो गयीं अभी कुछ समय पहले पोप जान पाल भारत आये तो उन्हौने यह कहा कि जल्दी ही भारत को ईसाई राष्ट्र वना देगे और कहा कि 21 वीं सदी एशिया को ईसाईकरण करने की सदी है।आपने यह कैसे सोच लिया कि आप जिनका कि कुल 2012 वर्ष का कुल इतिहास  है।और अगर आपका अपना पुराना ज्ञान तुममें या तुम्हारे पुरखों में अगर था भी तो तुमने खुद अपने हाथों ही नष्ट  कर दिया एसे लोग भारत अर्थात  एशिया के उस देश को जिसका कि अपना गौरव पूर्ण इतिहास रहा है उसे नष्ट करने में मुस्लिम आक्रान्ताओं में होड़ सी लग गयी थी फिर भी वो अपने मंसूवों में कामयाब न हो सके फिर तुम्हारी ब्रिटिश सरकारों ने हमें काले अग्रेज बनाने के सैंकड़ो प्रयास कर लिए लैकिन तुम्हारे पूर्वज भी  इस देश  को  पूर्णतया ईसाई राष्ट्र वनाने में कामयाब नही हो पाये। अब तुम अपने उसी अज्ञान को ज्ञान मान उसी के बल पर फैलाने का सपना बनाकर क्या यह समझते हो कि भारत में मूर्ख बसते हैं जो उन्है ईसाइयत की शिक्षा दे लोगे।और अब तो हमारे आदिवासी भाइयों को भी तुम्हारी विषेली सेवा समझ आने लगी है।वो भा जो तुम्हारे या तुम जैसों के षडयन्त्रों में फँस गये थे अब लौट कर वापस या तो आ गये है या फिर वापस आने को वैसब्री से इंतजार देख रहै हैं।
               हाँ यह सही है कि हमने हर सम्प्रदाय को अपने देश में पनाह दी है चाहैं वो इस्लामी तूफान के समय फारस से आये अपने पारसी वंधु हों या तुम्हारी विषेली सेवा से बचने के लिए आए येरुशलम वासी यहूदी हो हमने तुम्हारे सहित सभी को मान दिया है।एक मुस्लिम सूफी को राजस्थान में बसाकर हमने खुद पर आकृमणों का क्रम शुरु करा लिया हो या फिर तुम्हारे भाईयों को व्यापार को मौका देकर खुद को गुलाम ही क्यों न बनवा लिया हो। किन्तु फिर भी तुम्हारा रोम, यूनान  आदि आज विश्व के नक्से पर नही है किन्तु् हम यू ही उसी तरह आज भी अपने नाम भारत को रखे हुए दुनिया में मौजूद हैं।
  हाँ तो यह बात हुयी ईसाई सम्प्रदाय की अब बात आती है सबसे बाद में पैदा हुए सम्प्रदाय इस्लाम की तो यह पैदा किया हजरत मौहम्मद सहाब ने औऱ उन्हौने एक धार्मिक किताब जिसका नाम कुरान है एक देवदूत या फरिस्ते से लिखबाई क्योकि वे पढ़े लिखे नही थे अतः अल्लाह के दिये उपदेशों को खुद नही लिख सकते थे अतः उन्हैं यह किताब फरिस्ते से लिखानी पढ़ी।आप इसी से यह समझ सकते हैं  कि यह सम्प्रदाय कितना महत्वपूर्ण है लेकिन ये ईसाईयों से भी ज्यादा कट्टरता से घोषणा करते है कि अगर आप हमारे सिद्धांतो को नही मानेगे तो दुनिया को दारुल ईस्लाम बनाने के लिए तुम्हारा सर ही कलम क्यों न करना पढ़े हम अवश्य करेंगे ।
            लैकिन हिन्दु को साम्प्रदाय बताने बाला कोई भी व्यक्ति यह बताए कि हिन्दु समाज किसने बनाया है।सब जानते हैं कि न तो हिन्दु का कोई पैगम्बर ही है न ही उसकी कोई एक पुस्तक ही है जिसे यह कहा जाए कि  यह हिन्दु की विशेष पुस्तक ही है।
कोई व्यक्ति भगवान की पूजा करता है कोई नही करता कोई आस्तिक है कोई नास्तिक कोई जगन्नाथ पुरी को मानता है तो कोई मथुरा वाले को मानता है कोई शिवजी का भक्त है तो दूसरा विष्णु जी का कोई सगुण ब्रह्म का उपासक है तो कोई निर्गुण ब्रह्म का कोई कबीर को मान कर कबीरपंथी  है तो कोई नानक को मानकर नानक पंथी लैकिन सब के सब हिन्दु हैं एक ही घर मे रहने वाला एक हनुमान भक्त है तो दूसरा कृष्ण का भक्त है तो तीसरा यह घोषणा कर देता है  कि प्रभु तो निराकार है लैकिन कहीं कोई झगड़ा नही सवका रास्ता अलग अलग किन्तु सबके दिमाग में प्रभु तक पहुँचने की चाहत है सब जानते है कि केवल  अच्छे कर्म करते हुए किसी भी मार्ग से पहुँचे भगवान हमें मिलेगा ही।तो बताओ किस आधार पर हिन्दु को आप सम्प्रदाय घोषित करते हो जो आर्य समाजी हैं वे भी हिन्दु हैं और जब तक सरकार ने अल्पसंख्यक आयोग को सक्रिय नही किया था तव तक सिक्ख,जैन व वौद्ध कबीरपंथी नानकपंथी सभी अपने आपको हिन्दु ही कहते आये हैं।दुर्भाग्य का विषय है कि हमारी अपनी सरकारे ही अपने देश व समाज के साथ दुश्मनी का व्यवहार करके हिन्दु समाज को धर्म के स्थान पर सम्प्रदाय घोषित कर रही हैं
और अब तो एक नया षडयंत्र चल रहा है भारत की जातीय गणना कराकर भारत के लोगों को और भी अधिक  बाँटने का नया प्रयास चल रहा है जो सफल होता दिख रहा है जिसका निर्णय सोनिया गाँधी द्वारा शासित कांग्रेस नीत मनमोहन सरकार का भारत तोड़ो अभियान के अन्तर्गत चल रहा निर्णय है।








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