Sunday, October 26, 2014

टाइगर देखना है तो रणथम्भौर जाइए

वो रहा, कहां, अरे वो सामने, कहां? अच्छा वो, काफी मशक्कत और चश्मा ऊपर-नीचे करने के बाद मेरी नजर पेड़ों के झुरमुट को चीर, नाले के उस पार, गुफा के आधे अंदर और आधे बाहर लेटे बाघ पर जाती है।
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पहली प्रतिक्रिया यही है कि यह कितना बड़ा जानवर है। और यह कहते-कहते आवाज जाने क्यों बिलकुल धीमी हो जाती है जबकि हमारे और सोए हुए बाघ के बीच की दूरी इतनी है कि चिल्लाने पर भी उसे सुनाई न दे। खुले जंगल में मेरा बाघ से यह पहला साक्षात्कार है।

हाथ के रोएं कुछ खड़े महसूस होते हैं। एक हाथ अनायास बेटे को सुरक्षा घेरे में ले लेता है। अब तक कई गाड़ियां रुक चुकी हैं। हर ड्राइवर दूसरे को लताड़ रहा है कि आगे बढ़ो लेकिन सवारियों का फोटो खींचने से दिल भरे तब न! और जब गाड़ियों में दुनिया के जाने-माने वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर सवार हैं तो कौन आगे बढ़ेगा?

आखिरकार ट्रैफिक खुलता है और हम आगे बढ़ने लगते हैं। सभी को लगता है जंगल में प्रवेश के कुछ मिनटों के अंदर ही मकसद सफल हो गया, बाघ को उसके प्राकृतिक रूप में देख लिया, बिना पिंजरों के, अब आगे क्या?

* को उसके प्राकृतिक रूप में करीब से देखने का सबसे बढ़िया अवसर यहीं पाया जाता है। * गर्मियों की शुरुआत बेहतरीन मौका है, क्योंकि झाड़ियां बहुत घनी नहीं होतीं और टाइगर आसानी से दिखते हैं।
ुछ दूर तक हिरणों, साम्भरों के झुंड और लंगूरों के करतब हमें आकर्षित करने में विफल हो जाते हैं। चर्चा बाघ केंद्रित हो चुकी है। ड्राइवर साहब में दो दशक से ज्यादा सेवाएं दे चुके हैं।

उनका टाइगर इन्साइक्लोपीडिया चालू है। दोपहर तेजी से शाम की ओर बढ़ती है। हम टाइगर रिजर्व के एक जोन का फेरा लगा चुके हैं। गाड़ियां वापसी की ओर हैं तभी झाड़ियों से काली धारियां निकलती हैं। लंबा-चौड़ा बाघ हमारी गाड़ी की ओर लंबे डग भरता हुआ आ बढ़ता है। हमारी आंखों को उसकी चाल मस्तमौला-सी दिखती है।

लेकिन जब वह पलक झपकते कच्ची सड़क पर उतर आता है तब उसकी गति का अंदाजा लगता है। ड्राइवर साहब बताते हैं कि यह वही बाघ है, जो अब सोकर उठ चुका है, टी-28।

उसकी शाम की सैर का वक्त हो चुका है। तब तक टी-28 कच्ची सड़क को हमारे सामने से पार कर जाता है। इतना पास कि हाथ बढ़ाओ तो छू जाए। उसने हमारी ओर देखने की ज़हमत नहीं उठाई। लेकिन मेरा गला सूख रहा है। एक हथेली बेटे का मुंह बंद कर रही है, कुछ बोल न दे, बाघ डिस्टर्ब हो गया तो? अरे, ये क्या, ड्राइवर गाड़ी बाघ के पीछे लगा देते हैं।

* रणथम्भौर में कुल 52 बाघ हैं। * हिरण, साम्भर, चीतल, तेंदुए, लेयोपार्ड, जंगली सूअर, लंगूर, घड़ियाल और अनेक किस्म के वन्य और जलपक्षी बहुतायत में मौजूद हैं।
कुछ देर बाद बाघ कच्ची सड़क छोड़ जंगल में घुस जाता है। हिरणों को हसरतभरी निगाहों से देखता है, लेकिन पलक झपकते फिर सड़क पर। गाड़ी स्टार्ट, रुको, यह तो सड़क के बीचोबीच बैठ गया, पंजे सहलाए, लंबी उबासी और लेट गया। लो।

क्लिक, क्लिक, क्लिक, ले लो मनुष्यों, जितनी फोटो चाहिए। यह दृश्य हमारी उम्मीदों से बढ़कर है। टाइगर साइटिंग तो सुनी थी, मगर 25 मिनट का साक्षात्कार! ये तो सोचा भी न था। कभी सड़क, कभी झाड़ियों में टी-28 के साथ रहकर हम लौट जाते हैं। लगता नहीं वह शिकार के मूड में है।

अगला दिन, एक और सफारी। हमारा लालच बढ़ता जा रहा है। सुबह से खबर मिली है कि चार शावकों के साथ आकर्षण का केंद्र बनी बाघिन कहीं नजर नहीं आ रही। टाइगर रिजर्व के अधिकारी चिंतित हैं। तभी किसी ने बताया कि सुबह कुछ लोगों ने बाघिन को देखा है। हम सब राहत की सांस लेते हैं।

तभी बाघ के मूवमेंट की खबर। इस बार डर नहीं लगता लेकिन बाघ की करीबी से सांस फिर भी रुक जाती है। यह टी-64 है। तीन साल का जवान, मस्त। झाड़ियों में बैठा टी-64 अंगड़ाई लेता उठता है और तालाब के किनारे-किनारे चलने लगता है। गाड़ियों की कतार उसके पीछे लग जाती है।

अपने विदेशी टूरिस्ट को खुश करने की होड़ में एक नौजवान ड्राइवर जोर से गाड़ी दौड़ाता है। बाघ का रास्ता बाधित होता है। सब खामोश, बाघ के पांव ठिठके, उसने गर्दन घुमाई, घूरकर देखा, कौन गुस्ताख है?

Friday, October 24, 2014

अन्नकूट यानी गोवर्धन पूजा की कथा

अन्नकूट यानी गोवर्धन पूजा दिवाली के दूसरे दिन की जाती है। इस संबंध में एक कथा प्रचलित है। कहते हैं द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण अपने सखाओं, गोप-ग्वालों के साथ गाएं चराते हुए गोवर्धन पर्वत की तराई जा पहुंचे। वहां पहुंच कर उन्होंने देखा कि हजारों गोपियां गोवर्धन पर्वत के पास 56 प्रकार के भोजन रखकर बड़े उत्साह के साथ नाच गा रही हैं।  श्रीकृष्ण ने इस उत्सव का प्रयोजन पूछा, तो गोपियों ने कहा कि आज तो घर-घर में उत्सव होगा क्योंकि वृत्रासुर को मारने वाले मेघों व देवों के स्वामी इंद्र का पूजन होगा। यदि पूजा से वे प्रसन्न हो जाएं तो ब्रज में वर्षा होती है, जिससे अन्न पैदा होता है और ब्रजवासियों का भरण पोषण होता है।  तब कृष्ण बोले यदि देवता प्रत्यक्ष आकर स्वयं भोग लगाएं, तो तुम्हें यह पूजा अवश्य करनी चाहिए। इतना सुन गोपियां बोलीं कान्हाजी आप को इंद्र की इस प्रकार की निंदा नहीं करनी चाहिए। यह तो इंद्रोज नामक यज्ञ है। इसी के प्रभाव से अतिवृष्टि नहीं होती है।  श्रीकृष्ण बोले, इंद्र में क्या शक्ति है? उससे अधिक शक्तिशाली तो हमारा गोवर्धन पर्वत है। इसी के कारण वर्षा होती है। हमें इंद्र से भी बलवान गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए। इस बात को लेकर काफी वाद विवाद हुआ और आखिर श्रीकृष्ण की बात मानते हुए गोवर्धन पर्वत की पूजा होने लगी। सभी ग्वालों और गोपियों ने गोवर्धन पर्वत की मिष्ठान से पूजा की, उधर श्रीकृष्ण ने अपने दिव्य रूप में गोवर्धन पर्वत को चढ़ाए प्रसाद को खा लिया और उन सभी को आशीर्वाद दिया।  तभी नारद मुनि इंद्रोज यज्ञ देखने की इच्छा से ब्रज के गांव आए, तो इंद्रोज यज्ञ के स्थगित होने का समाचार उन्हें मिला। इतना सुनते ही नारद इंद्र लोक पहुंचे और उदास होकर इंद्र देव से बोले, गोकुल के निवासियों ने गोवर्धन पर्वत की पूजा करना शुरू कर दिया है। आज से यज्ञ आदि में उस पर्वत का भी भाग हो गया है।  नारदजी की बातों को सुनकर इंद्र क्रोध में लाल-पीले हो गए। गुस्से में उन्होंने मेघों को आज्ञा दी कि गोकुल में जाकर तबाही और प्रलय उत्‍पन्‍न कर दो। मेघ मूसलाधार बरसने लगे। ऐसे में सभी गोकुलवासी श्रीकृष्ण की शरण में गए और रक्षा की प्रार्थना करने लगे।  गोप-गोपियों की करुण पुकार सुनकर श्रीकृष्ण बोले, तुम सभी गोवर्धन पर्वत पर जाओ वही तुम्हारी रक्षा करेंगे। सभी गोकुलवासी गोवर्धन पर्वत की तराई में पहुंचे। श्रीकृष्ण भी उनके साथ चल दिए। उन्होंने गोवर्धन पर्वत को अपनी एक अंगुली पर उठा लिया। गोकुलवासी पर्वत की छाया में सात दिन तक रहे और अतिवृष्टि से उनकी जिंदगी बच गई।  सुदर्शन चक्र के प्रभाव से ब्रजवासियों पर एक बूंद भी जल नहीं पड़ा। यह चमत्कार देखकर ब्रह्मा जी द्वारा श्रीकृष्णावतार की बात सुनकर इंद्र देव अपनी मूर्खता पर पश्चाताप करते हुए कृष्ण से क्षमा याचना करने लगे। श्रीकृष्ण ने सातवे दिन गोवर्धन को नीचे रखा और ब्रजवासियों से कहा कि अब तुम प्रतिवर्ष गोवर्धन पूजा कर अन्नकूट का पर्व मनाया करो। तभी से यह पर्व प्रचलन में आया। -
अन्नकूट यानी गोवर्धन पूजा दिवाली के दूसरे दिन की जाती है। इस संबंध में एक कथा प्रचलित है। कहते हैं द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण अपने सखाओं, गोप-ग्वालों के साथ गाएं चराते हुए गोवर्धन पर्वत की तराई जा पहुंचे। वहां पहुंच कर उन्होंने देखा कि हजारों गोपियां गोवर्धन पर्वत के पास 56 प्रकार के भोजन रखकर बड़े उत्साह के साथ नाच गा रही हैं।
श्रीकृष्ण ने इस उत्सव का प्रयोजन पूछा, तो गोपियों ने कहा कि आज तो घर-घर में उत्सव होगा क्योंकि वृत्रासुर को मारने वाले मेघों व देवों के स्वामी इंद्र का पूजन होगा। यदि पूजा से वे प्रसन्न हो जाएं तो ब्रज में वर्षा होती है, जिससे अन्न पैदा होता है और ब्रजवासियों का भरण पोषण होता है।
तब कृष्ण बोले यदि देवता प्रत्यक्ष आकर स्वयं भोग लगाएं, तो तुम्हें यह पूजा अवश्य करनी चाहिए। इतना सुन गोपियां बोलीं कान्हाजी आप को इंद्र की इस प्रकार की निंदा नहीं करनी चाहिए। यह तो इंद्रोज नामक यज्ञ है। इसी के प्रभाव से अतिवृष्टि नहीं होती है।
श्रीकृष्ण बोले, इंद्र में क्या शक्ति है? उससे अधिक शक्तिशाली तो हमारा गोवर्धन पर्वत है। इसी के कारण वर्षा होती है। हमें इंद्र से भी बलवान गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए। इस बात को लेकर काफी वाद विवाद हुआ और आखिर श्रीकृष्ण की बात मानते हुए गोवर्धन पर्वत की पूजा होने लगी। सभी ग्वालों और गोपियों ने गोवर्धन पर्वत की मिष्ठान से पूजा की, उधर श्रीकृष्ण ने अपने दिव्य रूप में गोवर्धन पर्वत को चढ़ाए प्रसाद को खा लिया और उन सभी को आशीर्वाद दिया।
तभी नारद मुनि इंद्रोज यज्ञ देखने की इच्छा से ब्रज के गांव आए, तो इंद्रोज यज्ञ के स्थगित होने का समाचार उन्हें मिला। इतना सुनते ही नारद इंद्र लोक पहुंचे और उदास होकर इंद्र देव से बोले, गोकुल के निवासियों ने गोवर्धन पर्वत की पूजा करना शुरू कर दिया है। आज से यज्ञ आदि में उस पर्वत का भी भाग हो गया है।
नारदजी की बातों को सुनकर इंद्र क्रोध में लाल-पीले हो गए। गुस्से में उन्होंने मेघों को आज्ञा दी कि गोकुल में जाकर तबाही और प्रलय उत्‍पन्‍न कर दो। मेघ मूसलाधार बरसने लगे। ऐसे में सभी गोकुलवासी श्रीकृष्ण की शरण में गए और रक्षा की प्रार्थना करने लगे।
गोप-गोपियों की करुण पुकार सुनकर श्रीकृष्ण बोले, तुम सभी गोवर्धन पर्वत पर जाओ वही तुम्हारी रक्षा करेंगे। सभी गोकुलवासी गोवर्धन पर्वत की तराई में पहुंचे। श्रीकृष्ण भी उनके साथ चल दिए। उन्होंने गोवर्धन पर्वत को अपनी एक अंगुली पर उठा लिया। गोकुलवासी पर्वत की छाया में सात दिन तक रहे और अतिवृष्टि से उनकी जिंदगी बच गई।
सुदर्शन चक्र के प्रभाव से ब्रजवासियों पर एक बूंद भी जल नहीं पड़ा। यह चमत्कार देखकर ब्रह्मा जी द्वारा श्रीकृष्णावतार की बात सुनकर इंद्र देव अपनी मूर्खता पर पश्चाताप करते हुए कृष्ण से क्षमा याचना करने लगे। श्रीकृष्ण ने सातवे दिन गोवर्धन को नीचे रखा और ब्रजवासियों से कहा कि अब तुम प्रतिवर्ष गोवर्धन पूजा कर अन्नकूट का पर्व मनाया करो। तभी से यह पर्व प्रचलन में आया।
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Wednesday, January 30, 2013

दो शब्द -दामिनी को मिले छद्म न्याय के प्रति

अंधों का यह न्याय आज अपराधी छूटा
बलत्कार सा पाप किया इज्जत को लूटा
शैतानी करतब दिखला दामनी मारी
आज न्याय ने देखो कैसी करदी ख्वारी
अब आगे कोई नारी बाहर न निकले
घर में वैठी रहै न्याय की बात न बोले
अन्यायी के दोनों हाथ भरे लड्ड़ू से
एक हाथ में अय्यासी  दूजे में जन्नत
लूट मजे में यार खूव भारत की इज्जत
जब तक तू अठ्ठारह वरस का हो पाएगा
तेरा नाम खुदा वन्दों में लिख जाएगा
दोनों हाथों लूटो तुम भारत को भैया
आज डूवने बाली है भारत की नैया
इधर मजे में रहों खूव अय्यासी करलों
उधर पहुँचकर खुदा के घर फिर मौजें लो
खूब करों मनमानी हो नावालिग जब तक
खूव निकालों नारी का फालूदा तब तक
ए न्यायकारी अब तुम भी कुछ आँखे खोलो
अन्यायी सा न्याय किया क्यों तुमने बोलो
बिका लग रहा न्याय आज हमको मंडी में
गुण्डे ऐश किये  दिखते  हमको मंडी में
भारत की नारी का जो तुमने न्याय किया है
अन्याय के शिवा नही कोई काम किया है
इस न्याय को न्याय नही कोई कह सकता
नारी पर अन्याय भारती ना सह सकता
तुमने एसा न्याय किया जो एसी पीड़ा है
शैतानों के यहाँ आज होती क्रीड़ा है
हर शैतान बजाता होगा खुलकर ताली
होगी अब नारी की खुलकर बदहाली
लपकेगा शैतान खूव नावालिग बनकर
टपकेगा अब खून नालियों में बहबहकर
बहिन वेटियाँ कैसे सड़के पार करेगी
अब भारत माँ कैसे देखो धीर धरेगी
आज मानना होगा न्याय की देवी अंधी 
देख न्याय को आज हिम्मत न वंधी
आत्मा दामिनी की आज फिर रोती होगी 
शैतानी फिर फिर नारी पर  हँसती होगी
क्या विगाड़ पायी तू वलिदान देकर भी नारी
आज न्याय ने कर दी फिर से तेरी ख्वारी


  

कसाब को बचाना चाहती थी सोनिया की कमेटी!

राष्ट्रधर्म संकलन साभार प्रभात खबर 

नयी दिल्ली : हमारे देश में कुछ लोग कसाब के हितैषी भी हैं या यूं कहें कि उन्हें कसाब पर दया आ गयी थी. तभी तो कसाब की माफी की पैरवी के लिए 203 लोगों ने राष्ट्रपति से पैरवी की थी. यहां चौंकाने वाली बात यह है कि इन लोगों में नेशनल एडवाइजरी कमेटी के दो मेंबर भी शामिल हैं. इस कमेटी की अध्यक्ष सोनिया गांधी हैं.
इस बात का खुलासा जनता पार्टी अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी ने किया है. आरटीआई के जरिए मिली जानकारी के हवाले से उन्होंने बताया कि कसाब की फांसी माफ करने के लिए 203 लोगों ने राष्ट्रपति के पास अर्जी भेजी थी, जिनमें 2 अर्जियां कमेटी मेंबर्स की भी थी.
आरटीआई से साफ हुआ है कि एडवाइजरी कमेटी की मौजूदा मेंबर अरुणा रॉय और पूर्व मेंबर हर्ष मंदर उन पत्रकारों और सोशल ऐक्टिविस्टों में शामिल हैं, जिन्होंने कसाब की फांसी की सजा माफ करने की मांग की थी. सोशल ऐक्टिविस्ट निखिल डे भी कसाब की फांसी की सजा माफ करने की अपील करने वालों में से एक थे, मगर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इन सभी अर्जियों को खारिज कर दिया था, जिसके बाद बीते साल 21 नवंबर को कसाब को फांसी दे दी गई थी.
शुक्रवार को जनता पार्टी प्रेजिडेंट सुब्रमण्यम स्वामी ने बताया कि उनकी पार्टी के एक मेंबर ने इस बारे में आरटीआई के तहत जानकारी मांगी थी. उन्होंने मीडिया को आरटीआई के तहत मिले लेटर की कॉपी देते हुए कहा, 'जिन लोगों ने एक आतंकी की सजा माफ करने की मांग की, वही लोग कमेटी में बैठकर देश का भविष्य तय कर रहे हैं.'
इस बारे में जब हर्ष मंदर से बात की, तो उन्होंने कहा मैंने सजा माफी की बात नहीं की थी, सिर्फ फांसी की सजा माफ करने की अर्जी दी थी.' वहीं अरुणा रॉय ने तो इस बारे में बात नहीं की, मगर सोशल ऐक्टिविस्ट निखिल डे बताया, 'मैं और अरुणा रॉय किसी को भी मौत की सजा के पक्ष में नहीं है. हमारा मानना है कि किसी को भी फांसी की सजा के बजाए लंबे समय तक जेल में रखना चाहिए.'

सच जिन्है कोई नकार नही सकता है जो भारत के लिए दुःखद तथ्य हैं


प्रिन्स कुमावत भारतीय 11:45am Jan 30
कुछ अनकहे और अनसुने तथ्य ..



1. हमारे देश पर मुसलमानों का हक भी है : काहे का हक? १९०० से १९४७ तक जमकर हिन्दू का खून बहाया था एक अलग इस्लामिक देश बनाने के लिए. और उन ४० ५० सालो में मुस्लिम यह कहते रहे थे की हिन्दू और
मुस्लिम का धर्म बिलकुल विपरीत है , हम लोग हिन्दू के साथ नहीं रह सकते! ..

९९.९९% मुस्लिम लोगो ने अलग इस्लामिक देश की मांग राखी थी और उनकी मांग के मुताबित १५ से २०% आबादी वाले मुस्लिम वर्ग को ३०% भारत का हिस्सा दे दिया गया (पाकिस्तान आर बांग्लादेश के रूप में) ..

2. पाकिस्तान और बांग्लादेश में पिछले ६० सालो में आबादी ४ गुना हुई है वहीँ दूसरी और भारत में मुस्लिम आबादी ८ गुना हो चुकी है .. आज़ादी के समय पाकिस्तान और बांग्लादेश की कुल जन संख्या ८ करोड़ से ९ करोड़ के बीच थी .. अज वो बढकर ३२ करोड़ है .. वहीँ भारत में मात्र ३ करोड़ मुस्लमान थे जिनकी आबादी अब २५ करोड़ के पार जा चुकी है ..

सरकार देश की जनता को मुर्ख बनाती है की मुसलमानों की जनसँख्या १८ करोड़ से २० करोड़ है .. उस १८ २० करोड़ में कश्मीरी मुस्लिम नहीं गिने जाते, उसमें असम के मुस्लमान नहीं गिने जाते , उसमें बंगलादेशी घुसपैठिये नहीं गिने जाते .

3. मुस्लमान की आबादी (हिन्दू+सिख+जैन ­+बौध+पारसी ) के मुकाबले ५०% ज्यादा तेजी से बड रही है |

4. अगर अभी भी हिन्दू सोया रहा तोह २०३५ में मुस्लमान हमारे देश में बहुसंख्यक होगा .. और भूतकाल गवाह है की जहाँ जहाँ पर मुस्लमान बहुसंख्यक हुआ है वो देश में दुसरे धर्मो के लोगो का जीना नरक में जीने से भी बुरा हुआ है ..(पाकिस्तान , बांग्लादेश ) .. आजादी के बाद : कश्मीर , असाम, हैदराबाद |

5. हमारे देश में सैक्युलर लोग यह कहते है की मुसलमानों के साथ ना इंसाफी होती है | हमारे देश में 60% मुस्लमान शिक्षित लोगो में गिने जाते है | और वहीँ दूसरी और हिन्दू 68% .. मुसलमानों की शिक्षा दर इसिलए भी कम है क्यूंकि इनके परिवार में इतने बच्चे होते है की सही से परवरिश तक नहीं कर पाते.

केरल में मुसलमानों की शिक्षा दर ८५% के करीब है और उनकी हरकतें देश जोड़ने की नहीं तोड़ने की होती हि या .. समय समय पर फतवे जारी किये जाते है ..

यह वो तथ्य है जो कोई भी नकार नहीं सकता , कितने बड़े से बड़ा विद्वान् हो , कितने बड़े से बड़ा सेक्युलर हो यह तथ्य वो नकार नहीं सकता जो भी ऊपर दिए हुए है।
सावधान ॥ यह एक फेसबुक क्षेत्र है.

♥♥♥ प्रिन्स कुमावत भारतीय ♥♥♥

भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह

माता पत्नी की पुकार पर ब्लागर देते गाली
कैसा भारत में दिन आया शैतान बजाते ताली
आतंकी हाफिज जैसे जब साहब बन जाते हैं
मंत्री ही आतंक बाद के वाहक बन जाते हैं
भारत माता की पीड़ा फिर कौन समझ पाएगा
सत्ताधारी ही भारत का दुश्मन बन जाएगा
देशभक्त सेना पर देखो कैसी बीती होगी
जिन्दा सैनिक की माताऐं अब कैसे जीती होंगी
प्रधान मंत्री भारत का खुद ही प्रधान नही है
वो क्या लाज रखे भारत की जो खुद स्वतंत्र नही है
ग्रहमंत्री भारत के बन बैठे नये नये ये शिंदे
 जिनने भारत की इज्जत में लगा दिये हैं फंदे
दिग्गी राजा रोज नयी सी खबर सुना देते हैं
मनमोहन जी राग नये नये रोज अलाप रहैं हैं
अल्पसंख्यक कभी भी गलत नही है
सब कमी हिन्दू ही करते हैं
हिन्दु ही है रहा सदा आतंकों का सानी
हिन्दु भारत में करता है सदा सदा मनमानी
इसीलिए भारत को भाई हिन्दु विहीन बनबा दो
और भारत को हाफिज की फोजों से सजबा दो
जब भारत हिन्दु से हिन्दु विहीन हो जाऐ
कांग्रेस के अरमान तभी तो पूरण होने पाऐं
इस बार जैसा मौका तो फिर शायद ही आऐ
शायद अबके काग्रेस की दुग्गी लग जाऐ
दिल्ली को चाहिऐं भारत में लश्कर को लगबाऐ
और भारत से संघी सब आतंकियो को मरबाए
घर घर में है भरे पड़े ये हिन्दु आतंकबादी
इनके कारण बनी हुयी है भारत में आजादी
भारत को ईसाई करने की चाल सफल तब होगी
नहेरु जी के सपनों की तारीफ तभी तो होगी

Friday, January 25, 2013

भारत के सब हिन्दू आतंकी हैं।

दिल्लीश्वर देते हैं भैया शीशों को अब गाली
वोटों ने सेना की कीमत अब कम है कर डाली
माता पत्नी की पुकार पर ब्लागर देते गाली
कैसा भारत में दिन आया शैतान बजाते ताली
आतंकी हाफिज जैसे जब साहब बन जाते हैं
मंत्री ही आतंक बाद के वाहक बन जाते हैं
भारत माता की पीड़ा फिर कौन समझ पाएगा
सत्ताधारी ही भारत का दुश्मन बन जाएगा
देशभक्त सेना पर देखो कैसी बीती होगी
जिन्दा सैनिक की माताऐं अब कैसे जीती होंगी
प्रधान मंत्री भारत का खुद ही प्रधान नही है
वो क्या लाज रखे भारत की जो खुद स्वतंत्र नही है
ग्रहमंत्री भारत के बन बैठे नये नये ये शिंदे
 जिनने भारत की इज्जत में लगा दिये हैं फंदे
दिग्गी राजा रोज नयी सी खबर सुना देते हैं
मनमोहन जी राग नये नये रोज अलाप रहैं हैं
अल्पसंख्यक कभी भी गलत नही है
सब कमी हिन्दू ही करते हैं
हिन्दु ही है रहा सदा आतंकों का सानी
हिन्दु भारत में करता है सदा सदा मनमानी
इसीलिए भारत को भाई हिन्दु विहीन बनबा दो
और भारत को हाफिज की फोजों से सजबा दो
जब भारत हिन्दु से हिन्दु विहीन हो जाऐ
कांग्रेस के अरमान तभी तो पूरण होने पाऐं
इस बार जैसा मौका तो फिर शायद ही आऐ
शायद अबके काग्रेस की दुग्गी लग जाऐ
दिल्ली को चाहिऐं भारत में लश्कर को लगबाऐ
और भारत से संघी सब आतंकियो को मरबाए
घर घर में है भरे पड़े ये हिन्दु आतंकबादी
इनके कारण बनी हुयी है भारत में आजादी
भारत को ईसाई करने की चाल सफल तब होगी
नहेरु जी के सपनों की तारीफ तभी तो होगी

Friday, January 11, 2013

भारत की आजादी को मिटा रहै सैकुलर हैं,जो जितना गंदा सोचे वो ही अब पापूलर है

भारत की आजादी को अब मिटा रहै सेकूलर है,जो जितना गंदा सोचे वो ही अब पापूलर है
हेमराज और शहीद सुधाकर सदा रहेंगे याद हमें
पाक भेड़ियों की करतूते सदा रहैंगी याद हमें
पर भारत की सत्ता के कान नही खुलने बाले
क्यूकि भारत की सत्ता ने ताले कानों में डाले
 भारत की सत्ता में वैठे ये कांग्रेसी बन्दर है
आतंकी के लिए छछूदर हिन्दु के लिए सिकन्दर है
आँखे बन्द किये वैठे है किन्तु बुरा है दिखा रहै
कानों में उगली डाले है गाली जन को सुना रहै
बोलने का मना किया है बुरा ही बुरा है करा रहै
करने के कारण ही भारत घोटालों से घिरा पड़ा
इनके कारण बच्चा बच्चा कर्जदार है बना पड़ा
एक दिन पहला घोटाला दूजे है नया खड़ा
भारत की धरती का पाला इन दुष्टों से खूब पड़ा
भारत को इण्डिया बना कर बच्ची बनादी मिस्ट्रेस
देखने में शर्म आ जाए एसी इन लोगों की ड्रेस
बलात्कारी है खुले घूमते बच्ची बच्ची को डर है,भारत की आजादी को अब मिटा रहै सेकूलर है
 आजादी के लिए जिन्हौने अपना सब कुछ मिटा दिया
भारत माता की खातिर जीवन अपना गला दिया
वे ही मिटा दिये गये है भारत के इतिहास से
जिनने मौजे ली थी मिलकर अग्रेंजी सरकार से
वे बन वैठे भाग्य नियंता भारत की सरकार के
जिनकी कारगुजारियों से मेरा भारत छला गया
जिनके कारण भारत माँ का चीरहरण तक किया गया
जिनके कारण माताओं वहिनों की इज्जत खाक हुयी
भारत माता रोई पर राजनीति न साफ हुयी
हिन्दी चीनी भाई भाई का राग जिन्हौने अलापा था
तिब्बत को भारत से तोड़ा भारत वासी काँपा था
जिसने कहा ये सही नही है उसको गलत बताया था
हिमालय को पार कर चीन तभी तो आया था
पर फोर्स को आर्डर हैतु सत्ता ने तरसाया था
बिन आर्डर के सेना प्यारी आखिर क्या कर सकती है
बिन आर्डर के केवल सेना खुद ही तो मर सकती है।
आज मेरे भारत को प्यारे इसी बात का तो डर है।भारत की आजादी को अब मिटारहैं सैकूलर हैं।
काश्मीर की शुद्ध जमीं पर भैड़िये  आकर वैठे है
और संसद में नक्सलबादी नेता बनकर पेठें हैं
जो भारत को तोड़ रहैं है खुद अपने अभियानों से
भारत को घायल करते है ये अपने ही बाणों से
खुद को देश भक्त बतलाते चीन को अपना साथी
देशभक्त सेना को मारें इनको शर्म नही आती
भारत की संसद में ये ही नेता वनकर वैठे हैं
भारत की जनता को ये गुलाम बना कर ऐंठे हैं
जिनके गुर्गे भारत की सीमा से बाहर घूम रहै
चीन और पाक से जाकर हाथ मिलाते घूम रहै
जो चीन से माँग लाते हैं गोला वारुद और गने
भारतीय रक्त से इन लोगों के सदा रहैं है हाथ सने
सैनिक लाशों मे जो कुत्ते वारुदें भर देते हैं
उनके आका संसद में हिस्सा लेते है
इनके कामों पर ये नेता पर्दा डाले रहते है
सेना की हर योजना से अवगत होते रहते है
फिर भी ये देशभक्त बने है और देशभक्त आतंकी हैं
भारत की संसद की प्यारे ये ही तो नोटंकी है 
देशभक्त भारत वासी का इनके कदमों में सर है ।भारत की आजादी को अब मिटा रहै सेकूलर है।